एक और महाभारत
गर्दिश-ए-दौर किसका था
कुछ समझ आया कुछ नहीं आया!
वक्त थमा था उसी जगह
हम ही गुज़रते रहे दरमियान,
गजब! खेल था समझ से बाहर
कौन किस को बना रहा था,
कौन किसको बिगाड़ रहा था,
चारा तो बेचारा आम जन था,
जनता हर पल ठगी सी खड़ी थी
महाभारत में जैसे द्युत-सभा बैठी थी,
भीष्म ,धृतराष्ट्र,द्रोण ,कौरव- पांडव ,
न जाने कौन किस किरदार में था,
हां दाव पर द्रोपदी ही थी पहले की तरह,
जो प्रंजातंत्र के वेश में लाचार सी खड़ी थी,
जुआरी जीत-हार तक नये पासे फैंकते रहे,
आदर्शो का भरी सभा चीर-हरण होता रहा,
केशव नही आये ,हां केशव अब नही आयेंगे ,
अब महाभारत में "श्री गीता" अवतरित नहीं होगी,
बस महाभारत होगा छल प्रपंचों का।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
गर्दिश-ए-दौर किसका था
कुछ समझ आया कुछ नहीं आया!
वक्त थमा था उसी जगह
हम ही गुज़रते रहे दरमियान,
गजब! खेल था समझ से बाहर
कौन किस को बना रहा था,
कौन किसको बिगाड़ रहा था,
चारा तो बेचारा आम जन था,
जनता हर पल ठगी सी खड़ी थी
महाभारत में जैसे द्युत-सभा बैठी थी,
भीष्म ,धृतराष्ट्र,द्रोण ,कौरव- पांडव ,
न जाने कौन किस किरदार में था,
हां दाव पर द्रोपदी ही थी पहले की तरह,
जो प्रंजातंत्र के वेश में लाचार सी खड़ी थी,
जुआरी जीत-हार तक नये पासे फैंकते रहे,
आदर्शो का भरी सभा चीर-हरण होता रहा,
केशव नही आये ,हां केशव अब नही आयेंगे ,
अब महाभारत में "श्री गीता" अवतरित नहीं होगी,
बस महाभारत होगा छल प्रपंचों का।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 17 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसटीक।
ReplyDeleteवर्तमान स्थिती का बहुत ही सटिक विश्लेषण, कुसुम दी।
ReplyDeleteवर्तमान स्थिती पर बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDelete@बस महाभारत होगा छल प्रपंचों का।।
ReplyDelete–सत्य कथन.. सामयिक सार्थक भावाभिव्यक्ति
मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDeleteNicely depicted. Thx.
ReplyDeleteJitendra Sharma 'sainik' from Prerak Kavitaen.
वाह!लाजवाब सृजन आदरणीय दी.
ReplyDeleteयथार्थ पर सटीक प्रहार करती बेहतरीन अभिव्यक्ति ...
गर्दिश-ए-दौर किसका था
कुछ समझ आया कुछ नहीं आया!
वाह !
दौर-ए-गर्दिश का बेबाक चित्रण करती शानदार अभिव्यक्ति। आपने संक्षेप में इस दौर का इतिहास लिखने की भावभूमि प्रस्तुत की है।
ReplyDeleteचिंतनपरक बेहतरीन सृजन।
सादर नमन आदरणीया दीदी।