सरहद जाते सैनिकों के मनोभाव।
आओ साथियों दो घड़ी विश्राम कर लें
ठंडा गरम रोटी चावल जो मिले पेट भर लें ।।
मंजिल दूर राह प्रस्तर हौसला बुलंद कर लें ।
मां का श्रृंगार न उजड़े ऐसा दृढ़ निश्चय करलें।।
कंधों पर दायित्व बड़े, राह में पर्वत खड़े ।
देश की रक्षा हित हो प्राण भी देना पड़े।।
मां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें।
आंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।।
फिर ये क्षण ना जाने आ पायेंगे क्या जीवन में ।
दुश्मन घात लगाते बैठा सरहद के हर कोने में।।
एक-एक सौ को मारेगें शीश रखेगें हाथों में ,
पैरों से चल कर आयें या लिपट तिरंगे में।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आओ साथियों दो घड़ी विश्राम कर लें
ठंडा गरम रोटी चावल जो मिले पेट भर लें ।।
मंजिल दूर राह प्रस्तर हौसला बुलंद कर लें ।
मां का श्रृंगार न उजड़े ऐसा दृढ़ निश्चय करलें।।
कंधों पर दायित्व बड़े, राह में पर्वत खड़े ।
देश की रक्षा हित हो प्राण भी देना पड़े।।
मां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें।
आंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।।
फिर ये क्षण ना जाने आ पायेंगे क्या जीवन में ।
दुश्मन घात लगाते बैठा सरहद के हर कोने में।।
एक-एक सौ को मारेगें शीश रखेगें हाथों में ,
पैरों से चल कर आयें या लिपट तिरंगे में।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह!सैनिक मन के भावों का सजीव चित्रण!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ ।
Deleteभावभीनी ग़ज़ल
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए।
सादर।
क-एक सौ को मारेगें शीश रखेगें हाथों में ,
ReplyDeleteपैरों से चल कर आयें या लिपट तिरंगे में।
शक्ति बोध रस में रमी रचना, ऐसी रचना को सराहने के लिए शब्द काम होते हैं , ऐसी रचना को हाथ जोड़ नमन करने के मन होता है मेरा
सादर नमन
ज़ोया जी बहुत सा स्नेह आभार आपका।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया मेरी रचना को सदा नये आयाम नये अर्थ देती है ।
आपकी उपस्थिति उत्साह का नव संचार करती है।
ढेर सा स्नेह आभार।
सैनिकों के मनोभावों को उकेरती उत्कृष्ट रचना।बेजोड।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 06 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteमैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर।
मां-बाबा,भगिनी-भ्राता, प्रिया को याद कर लें।
ReplyDeleteआंगन बिलखते छोड़े,नन्हो को दिल में धर लें।।
सैनिक मन के भावों का बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन
वाह!!!
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साहवर्धक और उर्जावान होती है।
Deleteसस्नेह।
बहुत बहुत आभार मैं उपस्थित रहूंगी ।
ReplyDeleteसस्नेह
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
ReplyDeleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।