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Friday, 28 December 2018

छुवन हवा की

लो लहराके चली हवा

फूलों की छुवन साथ लिये
था थोड़ा बसंती सौरभ
कुछ अल्हड़ता लिये
मतंग मतवाली हवा।

लो लहराके चली हवा

सरगम दे मुकुल होठों को
तितलियों का बांकपन
किरणों के रेशमी ताने
ले मधुर गान पंछियों का।

लो लहराके चली हवा

भीना राग छेड़ तरंगिणी में
अमलतास को दे मृदुल छुवन
सांझ की लाली पर डोरे डाल
जा बैठी पर्वतों के पार।

लो लहराके चली हवा

थाम के ऊंगली मंयक की
आ बैठी मुंडेर पर
फिर बह चली आमोद में
सागर की लहरों पर नाचती।

लो लहराके चली हवा

चंदा खोया आधी रात में
डोलती तारों भरे आकाश में
तम की कालिमा हटी,
उषा की चूनर लहराई।

लो लहराके चली हवा

मार्तण्ड के घोड़े पर हो सवार
झरनों पर फिसलती
हिम का करती श्रृंगार
मानस में कलरव भरती।

लो लहराके चली हवा ।

        कुसुम कोठारी

24 comments:

  1. मार्तण्ड के घोड़े पर हो सवार
    झरनों पर फिसलती
    हिम का करती श्रृंगार
    अप्रतिम सृजन कुसुम जी ! प्रकृति का अनुपम वर्णन ।

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी सच आप की सराहना से रचना मुखरित हुई
      सस्नेह।

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    2. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँँ कुसुम जी ।

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    3. आपको भी पुरे परिवार सहित नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।सर्व मंगलमय हो

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  2. हवाओ की ये छुअन... बड़ी प्यारी लगी कुसुम जी, सादर स्नेह...

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    1. और हमें आपका स्नेह अहसास छू गया कामिनी जी। बहुत सा आभार।
      सस्नेह ।

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  3. जीवन्त
    बहुत खूब आदरणीया

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका रविंद्र जी रचना सार्थक हुई ।

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  4. बहुत ही मन भावन सुन्दर रचना कुसुम जी 👌

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    1. बहुत बहुत सा आभार सखी।

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  5. चंदा खोया आधी रात में
    डोलती तारों भरे आकाश में
    तम की कालिमा हटी,
    उषा की चूनर लहराई।
    कुसुम दी इस
    सुंदर चना के लिये प्रणाम

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    1. सस्नेह आभार शशि भाई आपकी सराहना उत्साह का टानिक है।
      सस्नेह।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ३१ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. बहुत सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य का मनभावन चित्र खींचा है आपने। नववर्ष मंगलमय हो।

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    1. बहुत ही स्नेह सिक्त आभार सुधा जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
      सस्नेह

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  8. वाह!!कुसुम जी ,बहुत सुंदर अलंकारिक भाषा ,अलौकिक वर्णन !!

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    1. बहुत सा प्यार भरा आभार शुभा जी उत्साह वर्धन के लिये ।
      सस्नेह ।

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  9. थाम के ऊंगली मंयक की
    आ बैठी मुंडेर पर
    फिर बह चली आमोद में
    सागर की लहरों पर नाचती।
    वाह!!!!
    बहुत ही प्यारी मनभावनी सी छुवन...
    लाजी रचना...।

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  10. बहुत ही प्यारी सी आपकी प्रतिक्रिया सुधा जी मन बाग बाग हुवा ढेर सा स्नेह

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  11. मार्तण्ड के घोड़े पर हो सवार
    झरनों पर फिसलती
    हिम का करती श्रृंगार
    मानस में कलरव भरती।
    लहराके चली हवा ।
    बहुत ही प्यारा , मनभावन सृजन प्रिय कुसुम बहन | इतनी सुघड़ताऔर सूक्ष्मता से प्रकृति के अवलोकन की अद्भुत क्षमता माँ सरस्वती का अनुपम वरदान है | आज बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर लिख पा रही हूँ | एक हफ्ते से ब्लॉग से अनुपस्थित भी रही हालाँकि आपके ब्लॉग पर आती रहती हूँ | सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई बहना | साथ में नववर्ष की बेला पर आपको सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | नववर्ष आप और आपके परिवार के लिए अत्यंत सुखद और मंगलकारी हो यही कामना है |सस्नेह --

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  12. नव वर्ष पर इतने सुरम्य शब्दों के साथ इतनी प्यार की सौगातें लें मेरे ब्लॉग पर आप का रेनू बहन अंतर हृदय से स्वागत है।
    आपके हर शब्द से प्यार स्नेह छलक रहा है, सच मैं नही बता सकती कितनी खुशी हुई आपके स्नेह वचनो से ।
    आप को भी रेनू बहन समस्त परिवार सहित नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। ये नव वर्ष ही क्या सदा सर्वदा आपके जीवन में खुशियों का साम्राज्य रहे ।
    सस्नेह रेनू बहन

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  13. बहुत कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह दिया इन शब्दों में ...

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    1. जी सादर आभार आपका प्रोत्साहित करती सराहना का ।
      सादर

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