Followers

Monday, 17 December 2018

नैना रे अब ना बरसना

नैना रे अब ना बरसना

शीत लहरी सी जगत की संवेदना
आँसू अपने आंखों में ही छुपा रखना ।
नैना रे अब ना बरसना।

शिशिर की धूप भी आती है ओढ़  दुशाला   
अपने ही दर्द को लपेटे है यहाँ सारा जमाना।
नैना रे अब ना बरसना।

देखो खिले खिले पलाश भी लगे  झरने
डालियों को अलविदा कह चले पात सुहाने।
नैना रे अब ना बरसना।

सलज कुसुम ओढ़ तुषार दुकूल प्रफुल्लित
प्रकृति के सुसुप्त नैसर्गिक द्रव्य है मुखलित।
नैना रे अब ना बरसना।

जो कल न कर सका उस से न हो अधीर
है जो आज उनसे कर इष्ट मुक्ता अंगीकार ।
नैना रे अब ना बरसना ।

              कुसुम कोठारी।

16 comments:

  1. अत्यंत सुंदर रचना कुसुम जी ,स्नेह

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा आभार कामिनी जी सदा यूं ही स्नेह देते रहें।
      सस्नेह।

      Delete
  2. बहुत ही अच्छी रचना कुसुम जी ,बेहतरीन 👌
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. ढेर सा आभार सखी बस हौसला बढाते रहें।
      सस्नेह।

      Delete
  3. वाह बहुत ही बेहतरीन रचना सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार सखी यूंही स्नेह बनाये रखें सस्नेह

      Delete
  4. सलज कुसुम ओढ़ तुषार दुकूल प्रफुल्लित
    प्रकृति के सुसुप्त नैसर्गिक द्रव्य है मुखलित।
    नैना रे अब ना बरसना।
    बहुत ही सुन्दर....
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. ढेर सा आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली सदा स्नेह देते रहें।
      सस्नेह

      Delete
  5. शिशिर की धूप भी आती है ओढ़ दुशाला
    अपने ही दर्द को लपेटे है यहाँ सारा जमाना।
    नैना रे अब ना बरसना।
    सांत्वना एक बढ़िया मरहम है इंसान के दिल पर लगे जख्म के लिये।
    प्रणाम।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार शशि भाई आपकी व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना को आयाम मिला।
      माना उम्मीद पर जीने को हासिल कुछ भी नही लेकिन
      पर ये क्या कि जिंदगी को जीने का सहारा भी न दें ।
      झूठ ही सही……
      सस्नेह आभार

      Delete
  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/12/101.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आदरणीय मै अवश्य उपस्थित रहूंगी। सादर।

      Delete
  7. आपके इस रचना से मैं कुछ नए शब्द को जाना और उसका प्रयोग कहाँ होगा उसको भी सिखा। इसे मैंने कई बार पढ़ा।
    रचना बेहतरीन है, कुसुम जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार मैं अनुग्रहित हुई ।
      रचना सार्थक हुई अगर वो कुछ भी रचनात्मकता देने में सफल रही।
      सादर

      Delete
  8. नकारात्मकता के अँधेरे में आपकी रचना सदैव सकारात्मक दीप बन जाती हैं
    बहुत सुंदर रचना आदरणीया दीदी जी
    सादर नमन शुभ संध्या

    ReplyDelete
    Replies
    1. ढेर सा स्नेह आभार बहना।

      Delete