नैना रे अब ना बरसना
शीत लहरी सी जगत की संवेदना
आँसू अपने आंखों में ही छुपा रखना ।
नैना रे अब ना बरसना।
शिशिर की धूप भी आती है ओढ़ दुशाला
अपने ही दर्द को लपेटे है यहाँ सारा जमाना।
नैना रे अब ना बरसना।
देखो खिले खिले पलाश भी लगे झरने
डालियों को अलविदा कह चले पात सुहाने।
नैना रे अब ना बरसना।
सलज कुसुम ओढ़ तुषार दुकूल प्रफुल्लित
प्रकृति के सुसुप्त नैसर्गिक द्रव्य है मुखलित।
नैना रे अब ना बरसना।
जो कल न कर सका उस से न हो अधीर
है जो आज उनसे कर इष्ट मुक्ता अंगीकार ।
नैना रे अब ना बरसना ।
कुसुम कोठारी।
शीत लहरी सी जगत की संवेदना
आँसू अपने आंखों में ही छुपा रखना ।
नैना रे अब ना बरसना।
शिशिर की धूप भी आती है ओढ़ दुशाला
अपने ही दर्द को लपेटे है यहाँ सारा जमाना।
नैना रे अब ना बरसना।
देखो खिले खिले पलाश भी लगे झरने
डालियों को अलविदा कह चले पात सुहाने।
नैना रे अब ना बरसना।
सलज कुसुम ओढ़ तुषार दुकूल प्रफुल्लित
प्रकृति के सुसुप्त नैसर्गिक द्रव्य है मुखलित।
नैना रे अब ना बरसना।
जो कल न कर सका उस से न हो अधीर
है जो आज उनसे कर इष्ट मुक्ता अंगीकार ।
नैना रे अब ना बरसना ।
कुसुम कोठारी।
अत्यंत सुंदर रचना कुसुम जी ,स्नेह
ReplyDeleteबहुत सा आभार कामिनी जी सदा यूं ही स्नेह देते रहें।
Deleteसस्नेह।
बहुत ही अच्छी रचना कुसुम जी ,बेहतरीन 👌
ReplyDeleteसादर
ढेर सा आभार सखी बस हौसला बढाते रहें।
Deleteसस्नेह।
वाह बहुत ही बेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी यूंही स्नेह बनाये रखें सस्नेह
Deleteसलज कुसुम ओढ़ तुषार दुकूल प्रफुल्लित
ReplyDeleteप्रकृति के सुसुप्त नैसर्गिक द्रव्य है मुखलित।
नैना रे अब ना बरसना।
बहुत ही सुन्दर....
वाह!!!
ढेर सा आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली सदा स्नेह देते रहें।
Deleteसस्नेह
शिशिर की धूप भी आती है ओढ़ दुशाला
ReplyDeleteअपने ही दर्द को लपेटे है यहाँ सारा जमाना।
नैना रे अब ना बरसना।
सांत्वना एक बढ़िया मरहम है इंसान के दिल पर लगे जख्म के लिये।
प्रणाम।
सस्नेह आभार शशि भाई आपकी व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना को आयाम मिला।
Deleteमाना उम्मीद पर जीने को हासिल कुछ भी नही लेकिन
पर ये क्या कि जिंदगी को जीने का सहारा भी न दें ।
झूठ ही सही……
सस्नेह आभार
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/12/101.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय मै अवश्य उपस्थित रहूंगी। सादर।
Deleteआपके इस रचना से मैं कुछ नए शब्द को जाना और उसका प्रयोग कहाँ होगा उसको भी सिखा। इसे मैंने कई बार पढ़ा।
ReplyDeleteरचना बेहतरीन है, कुसुम जी।
जी सादर आभार मैं अनुग्रहित हुई ।
Deleteरचना सार्थक हुई अगर वो कुछ भी रचनात्मकता देने में सफल रही।
सादर
नकारात्मकता के अँधेरे में आपकी रचना सदैव सकारात्मक दीप बन जाती हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना आदरणीया दीदी जी
सादर नमन शुभ संध्या
ढेर सा स्नेह आभार बहना।
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