मौसम आते हैं जाते हैं
मौसम आते हैं जाते हैं
हम वहीं खड़े रह जाते हैं
सागर की बहुरंगी लहरों सा
उमंग से उठता है मचलता है
कैसे किनारों पर सर पटकता है
जीवन चक्र यूंही चलता है
मौसम आते है...
कभी सुनहरे सपनो सा साकार
कभी टुटे ख्वाबों की किरचियां
कभी उगता सूरज भी बेरौनक
कभी काली रात भी सुकून भरी
मौसम आते हैं....
कभी जाडे सा सुहाना
कभी गर्मीयों सी तपन
कभी बंसत सा मन भावन
कभी पतझर सा बिखरता
मौसम आते हैं....
कभी चांदनी दामन में भरता
कभी मुठ्ठी की रेत सा फिसलता
जिंदगी कभी बहुत छोटी लगती
कभी सदियों सी लम्बी हो जाती
मौसम आते हैं....
कुसुम कोठारी
मौसम आते हैं जाते हैं
हम वहीं खड़े रह जाते हैं
सागर की बहुरंगी लहरों सा
उमंग से उठता है मचलता है
कैसे किनारों पर सर पटकता है
जीवन चक्र यूंही चलता है
मौसम आते है...
कभी सुनहरे सपनो सा साकार
कभी टुटे ख्वाबों की किरचियां
कभी उगता सूरज भी बेरौनक
कभी काली रात भी सुकून भरी
मौसम आते हैं....
कभी जाडे सा सुहाना
कभी गर्मीयों सी तपन
कभी बंसत सा मन भावन
कभी पतझर सा बिखरता
मौसम आते हैं....
कभी चांदनी दामन में भरता
कभी मुठ्ठी की रेत सा फिसलता
जिंदगी कभी बहुत छोटी लगती
कभी सदियों सी लम्बी हो जाती
मौसम आते हैं....
कुसुम कोठारी
कभी चांदनी दामन में भरता
ReplyDeleteकभी मुठ्ठी की रेत सा फिसलता
जिंदगी कभी बहुत छोटी लगती
कभी सदियों सी लम्बी हो जाती
मौसम आते हैं.... बेहतरीन रचना सखी
सस्नेह आभार सखी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
Deleteसस्नेह ।
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 20 दिसम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1252 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
जी सादर आभार।
Deleteअवश्य उपस्थित रहूंगी
यह परिवर्तन का सतत क्रम ही जीवन है...बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteउत्साह वर्धन करती व्याख्यात्मक टिप्पणी के लिये तहेदिल से शुक्रिया ।सदा पथ प्रदर्शन करते रहियेगा आदरणीय।
Deleteसादर।
जिंदगी की रीत को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने,कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया ज्योति बहन सदा उत्साह वर्धन करती रहें ।
Deleteसस्नेह
वाह
ReplyDeleteसादर आभार सर सदा हौसला बढाते रहें आप की प्रतिक्रिया से लेखन को नई गति मिलती है ।
Deleteसादर।
कभी सुनहरे सपनो सा साकार
ReplyDeleteकभी टुटे ख्वाबों की किरचियां
कभी उगता सूरज भी बेरौनक
कभी काली रात भी सुकून भरी
मौसम आते हैं....
सटीक प्रस्तुति...
जीवन में
कितने ही मौसम आते जाते रहते हैं...
परिवर्तन पर बहुत ही लाजवाबभावाभिव्यक्ति...
सुधा जी आपकी भाव भीनी सराहना से रचना को सार्थकता मिलती है आपका स्नेह अमूल्य है सदा मेरे लिये
Deleteसस्नेह आभार।
परिवर्तनशील समयचक्र को लाजवाब शब्दावली में बाँध बेहद खूबसूरत रचनात्मकता का परिचय दिया आपने । आपका सृजन सदैव मोहक और चिन्तनपरक होता है कुसुम जी ।
ReplyDeleteव्याख्यात्मक टिप्पणी से रचना को गति मिलती है मीना जी आपकी सुंदर टिप्पणी सदा मन मोहक और प्रेरित करती सी होती है।
Deleteसस्नेह आभार ।
ये मौसम एहसास भी करा जाते हैं की हम तो हर बार नया रंग ले के आयेंगे ... तुम कब इस रंग में जुड़ोगे ... इस जीवन को जियोगे ...
ReplyDeleteसमय तो बदलेगा बस हम बदले तो जीवन भी बदलेगा ...
विस्तृत टिप्पणी से रचना के भाव स्पष्ट हुवे सादर आभार नासवा जी ।सदा मार्ग दर्शन करते रहियेगा
ReplyDeleteसादर।
मौसम आते जाते हैं.... अब तो इंसान का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि पता भी नहीं चलता कब कौनसा मौसम शुरू हुआ और कब खत्म !!!
ReplyDeleteसही कहा आपने हमारी अत्यधिक व्यस्तता ने हमारी सुकोमल भावनाओं को ही संवेदनहीन कर दिया।
Deleteसार्थक प्रति पंक्तियों के साथ उत्साह बढाती प्रतिक्रिया का सस्नेह आभार मीना जी ।