मुस्कान
बिन मुस्कान रूप लगे
ज्यों कागज के फूल
देखन में सुंदर लगे
बिन सौरभ निर्मूल।
होठ बिन मुस्कान के
ज्यों बिना चाँद के व्योम
सूने सूने हैं लगत
ज्यों बिना पात के द्रुम।
खुशी आधी बिन मुस्कान
ज्यों बिन नीर पुष्कर
भाल न अगर मयूर पंखी
लगे अधूरे मुरलीधर।
स्वागत फीका सा लगे
जब ना लब पर मुस्कान
बिन बिंदी दुल्हन ना सजे
बिना नीर ना भाऐ घन।
बिन मुस्कान ओ रूपसी
ज्यों बिन ज्योति के आंख
बिन बरखा के सावन
बिन तारों के रात।
कुसुम कोठारी।
बिन मुस्कान रूप लगे
ज्यों कागज के फूल
देखन में सुंदर लगे
बिन सौरभ निर्मूल।
होठ बिन मुस्कान के
ज्यों बिना चाँद के व्योम
सूने सूने हैं लगत
ज्यों बिना पात के द्रुम।
खुशी आधी बिन मुस्कान
ज्यों बिन नीर पुष्कर
भाल न अगर मयूर पंखी
लगे अधूरे मुरलीधर।
स्वागत फीका सा लगे
जब ना लब पर मुस्कान
बिन बिंदी दुल्हन ना सजे
बिना नीर ना भाऐ घन।
बिन मुस्कान ओ रूपसी
ज्यों बिन ज्योति के आंख
बिन बरखा के सावन
बिन तारों के रात।
कुसुम कोठारी।
शुभ प्रभात सखी
ReplyDeleteवाह !! बेहतरीन रचना 👌
सादर
सखी सस्नेह आभार आपका।
Deleteबेहद सुंदर भावपूर्ण रचना सखी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी।
Deleteजी दी बेहद सुंदर रचना
ReplyDeleteसस्नेह आभार शशि भाई सदा उत्साह बढाते रहें।
Deleteबहुत सुन्दर कुसुम जी,
ReplyDeleteआप यूँ ही मुस्कान बिखेरती रहिए और साथ में किसी रोते हुए बच्चे को हंसाइए भी -
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को, हंसाया जाए.
बहुत सा आभार सर आपकी सराहना सब से अलग और लेखन को प्रेरित करती होती है। आपकी सलाह भी सच जीवन मूल्यों का प्रतिरूप है।
Deleteसादर।
सस्नेह,आभार
ReplyDeleteअवश्य उपस्थित तो निश्चित है।
बहुत लाजवाब....
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत स्नेह भरा आभार सुधा जी।
Deleteबहुत- बहुत प्यारी... रचना बधाई हो कुसुम जी , स्नेह सखी
ReplyDeleteढेर ढेर सा स्नेह आभार सखी सराहना और उत्साह वर्धन के लिये।
Deleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteमुस्कान ही है जो सुन्दरता प्रदान करती है मुख को ... जीवन डाल देती है कांतिहीन चेहरे में ... हर छंद बेजोड़ है रचना का ...
वाह बहुत सुन्दर आपकी प्रतिपंक्तियां ।
ReplyDeleteसादर आभार सुंदर भावात्मक प्रतिक्रिया के लिये।
सादर।
बहुत ही अर्थपूर्ण एवं सरल दोहे। अच्छी रचना है। मुस्कुराते रहिए आप भी, मेरा स्नेह।
ReplyDeleteआप आते रहें हम मुस्कुराते ही मिलेगें प्रिय मीना जी ।सादर आभार इस स्नेह का।
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