नववर्ष एक सोच
नव वर्ष एक सोच
जो एक पुरे साल नही बदलता
वो एक पल में नव होता
उस एक क्षण को
पार करने में साल गुजरता
सुख, दुख ,शोक ,चिंता अवसाद
सब अडिग से रहते
बस कैलेंडर बदलता
और सब नया हो जाता !!
अंक गणित का खेल सा लगता
नव शताब्दी क्या बदला ?
और बदला तो कितना अच्छा था ?
था कुछ खुशी मनाने लायक ?
या फिर एक ढर्रा था
हर वर्ष नव वर्ष आया फिर आयेगा
पता नही ये क्या गति जीवन की
कुछ हाथ ना पल्ले
वहीं खड़े जहां से थे चले।
जीर्ण शीर्ण हर सोच बदल दें
ये साल खुशियों से भर दें ।
कुसुम कोठारी ।
नव वर्ष एक सोच
जो एक पुरे साल नही बदलता
वो एक पल में नव होता
उस एक क्षण को
पार करने में साल गुजरता
सुख, दुख ,शोक ,चिंता अवसाद
सब अडिग से रहते
बस कैलेंडर बदलता
और सब नया हो जाता !!
अंक गणित का खेल सा लगता
नव शताब्दी क्या बदला ?
और बदला तो कितना अच्छा था ?
था कुछ खुशी मनाने लायक ?
या फिर एक ढर्रा था
हर वर्ष नव वर्ष आया फिर आयेगा
पता नही ये क्या गति जीवन की
कुछ हाथ ना पल्ले
वहीं खड़े जहां से थे चले।
जीर्ण शीर्ण हर सोच बदल दें
ये साल खुशियों से भर दें ।
कुसुम कोठारी ।
Let us welcome the new year with resolve to find opportunities and happiness hidden in each day with positive thoughts and deeds.
ReplyDeleteजी आभार बहुत सा
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत प्यारे अहसासों को शब्द दिए है आपने
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार संजय जी आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन मिला।
Deleteसादर।
जीर्ण शीर्ण हर सोच बदल दें,ये साल खुशियों से भर दें ।
ReplyDeleteबहुत खूब ............
बहुत सा आभार मित्र जी ।
Deleteसस्नेह ।
जीर्ण शीर्ण हर सोच बदल दें....बेहतरीन 👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी ।
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