ध्वनि अक्षर आवाज।
. सारा ब्रह्माण्ड ध्वनि और
प्रतिध्वनियों से गूंजारित रहता
जब तक हम उन्हें न करते
अक्षर रूप में हासिल
उनका नही होता कोई स्पष्ट स्वरूप
अक्षर दे सुनाई तो आवाज बनते
ढलते ही स्याही में शब्द बनते
अलंकृत होते तो काव्य बनते
लय बद्ध हो तो गीत बनते
गुनगुनाने लगे तो गजल बनते
और वही अक्षर कराने लगे बोध
आत्मा एंव अध्यात्म का
तो भजन और शास्त्र बनते।
कुसुम कोठारी।
. सारा ब्रह्माण्ड ध्वनि और
प्रतिध्वनियों से गूंजारित रहता
जब तक हम उन्हें न करते
अक्षर रूप में हासिल
उनका नही होता कोई स्पष्ट स्वरूप
अक्षर दे सुनाई तो आवाज बनते
ढलते ही स्याही में शब्द बनते
अलंकृत होते तो काव्य बनते
लय बद्ध हो तो गीत बनते
गुनगुनाने लगे तो गजल बनते
और वही अक्षर कराने लगे बोध
आत्मा एंव अध्यात्म का
तो भजन और शास्त्र बनते।
कुसुम कोठारी।
अक्षर दे सुनाई तो आवाज बनते
ReplyDeleteढलते ही स्याही में शब्द बनते
सत्य लिखा सखी आपने बहुत सुंदर रचना 👌👌👌
बहुत सा स्नेह आभार सखी ।
Deleteबहुत सुन्दर सखी 👌
ReplyDeleteबहुत सा आभार सखी।
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,कुसुम दी।
ReplyDeleteसस्नेह आभार ज्योति बहन ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ३ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी अवश्य ।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteअलंकृत होते तो काव्य बनते
लय बद्ध हो तो गीत बनते
गुनगुनाने लगे तो गजल बनते
सुधा जी ढेर सा आभार आपका।
Deleteआज अक्षर पर मैनें दो कृति पढ़ा, आपकी यह कृति मुझे बेहद पसंद आया। अक्षर के विभिन्न यात्राओं को बढिया तरीका से बताया...जिसे हम अनुभव भी कर पाते हैं।
ReplyDelete"...
वही अक्षर कराने लगे बोध
आत्मा एंव अध्यात्म का
तो भजन और शास्त्र बनते।"
वाह!!कुसुम जी ,अद्भुत!!👌
ReplyDeleteशुक्रिया सखी जी बहुत सारा।
Deleteस्याही सा वो समन्दर
ReplyDeleteसमन्दर सिमटा बूंद में
कुसुम जी बहुत ही सुंदर रचना है आप की
जी सादर आभार आपकी सक्रिय प्रतिक्रिया के लिये ।
Deleteस्वागत है ब्लॉग पर आपका।
सादर।
वही अक्षर कराने लगे बोध
ReplyDeleteआत्मा एंव अध्यात्म का
तो भजन और शास्त्र बनते।....... सुन्दर!!!!
जी बहुत बहुत आभार आदरणीय आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का।
Deleteसादर।