Tuesday, 18 December 2018

मौसम आतें हैं जाते हैं

मौसम आते हैं जाते हैं

मौसम आते हैं जाते हैं
हम वहीं खड़े रह जाते हैं

सागर की बहुरंगी लहरों सा
उमंग से उठता है मचलता है
कैसे किनारों पर सर पटकता है
जीवन चक्र यूंही चलता है
मौसम आते है...

कभी सुनहरे सपनो सा साकार
कभी टुटे ख्वाबों की किरचियां
कभी उगता सूरज भी बेरौनक
कभी काली रात भी सुकून भरी
मौसम आते हैं....

कभी जाडे सा सुहाना
कभी गर्मीयों सी तपन
कभी बंसत सा मन भावन
कभी पतझर सा बिखरता
मौसम आते हैं....

कभी चांदनी दामन में भरता
कभी मुठ्ठी की रेत सा फिसलता
जिंदगी कभी  बहुत छोटी लगती
कभी सदियों सी लम्बी हो जाती
मौसम आते हैं....
              कुसुम कोठारी

18 comments:

  1. कभी चांदनी दामन में भरता
    कभी मुठ्ठी की रेत सा फिसलता
    जिंदगी कभी बहुत छोटी लगती
    कभी सदियों सी लम्बी हो जाती
    मौसम आते हैं.... बेहतरीन रचना सखी

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
      सस्नेह ।

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  2. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 20 दिसम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1252 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    1. जी सादर आभार।
      अवश्य उपस्थित रहूंगी

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  3. यह परिवर्तन का सतत क्रम ही जीवन है...बहुत सुन्दर..

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    1. उत्साह वर्धन करती व्याख्यात्मक टिप्पणी के लिये तहेदिल से शुक्रिया ।सदा पथ प्रदर्शन करते रहियेगा आदरणीय।
      सादर।

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  4. जिंदगी की रीत को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने,कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया ज्योति बहन सदा उत्साह वर्धन करती रहें ।
      सस्नेह

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  5. Replies
    1. सादर आभार सर सदा हौसला बढाते रहें आप की प्रतिक्रिया से लेखन को नई गति मिलती है ।
      सादर।

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  6. कभी सुनहरे सपनो सा साकार
    कभी टुटे ख्वाबों की किरचियां
    कभी उगता सूरज भी बेरौनक
    कभी काली रात भी सुकून भरी
    मौसम आते हैं....
    सटीक प्रस्तुति...
    जीवन में
    कितने ही मौसम आते जाते रहते हैं...
    परिवर्तन पर बहुत ही लाजवाबभावाभिव्यक्ति...

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    1. सुधा जी आपकी भाव भीनी सराहना से रचना को सार्थकता मिलती है आपका स्नेह अमूल्य है सदा मेरे लिये
      सस्नेह आभार।

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  7. परिवर्तनशील समयचक्र को लाजवाब शब्दावली में बाँध बेहद खूबसूरत रचनात्मकता का परिचय दिया आपने । आपका सृजन सदैव मोहक और चिन्तनपरक होता है कुसुम जी ।

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    1. व्याख्यात्मक टिप्पणी से रचना को गति मिलती है मीना जी आपकी सुंदर टिप्पणी सदा मन मोहक और प्रेरित करती सी होती है।
      सस्नेह आभार ।

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  8. ये मौसम एहसास भी करा जाते हैं की हम तो हर बार नया रंग ले के आयेंगे ... तुम कब इस रंग में जुड़ोगे ... इस जीवन को जियोगे ...
    समय तो बदलेगा बस हम बदले तो जीवन भी बदलेगा ...

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  9. विस्तृत टिप्पणी से रचना के भाव स्पष्ट हुवे सादर आभार नासवा जी ।सदा मार्ग दर्शन करते रहियेगा
    सादर।

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  10. मौसम आते जाते हैं.... अब तो इंसान का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि पता भी नहीं चलता कब कौनसा मौसम शुरू हुआ और कब खत्म !!!

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    1. सही कहा आपने हमारी अत्यधिक व्यस्तता ने हमारी सुकोमल भावनाओं को ही संवेदनहीन कर दिया।
      सार्थक प्रति पंक्तियों के साथ उत्साह बढाती प्रतिक्रिया का सस्नेह आभार मीना जी ।

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