मुश्किल हो कैसी भी दीवारें न चुन लो
हल की कुछ छोटी खिड़कियां खोल लो
नेकियाँ करते चलो दरिया मे डाल दो
जीवन को बहती मौजों मे ढाल दो
जहाँ दिखावे करने तय हो तो करते चलो
जहाँ मौन से काम हो वहां मौन रहो
हौसलों की कस्तियों पर सवार चलो
छोटी सी जिंदगी है भाई हंसी खुशी जीलो।
कुसुम कोठारी।
बहुत सुन्दर रचना।.........
ReplyDeleteमेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है ।
जी आभार ,
ReplyDeleteजरुर।
वाह दीदी जी
ReplyDeleteबेहतरीन सुंदर रचना
स्नेह आभार आंचल बहन
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