हे मूरख नर
महा अज्ञानी
क्या कर रहा
तूं अभिमानी
अपने नाश का
बीज बो रहा
क्यों कहते
तूझे सुज्ञानी
आज तक विज्ञान
खोज मे
एक बात तो साफ हुई
कितने ग्रह उपग्रह है
लेकिन
इस धरा को छोड,
ना है मानव कहीं
तूं इसी धरा को
रहा उजाड़
दोहन करता,
प्रदूषित करता
वन उजाड़ता ,
पेड़ काटता
अपने सर्वनाश का
खुद इंतजाम करता
जब ये धरा न होगी
कहां रहेगा तूं
सोच और कर मनन
क्यों हाथ अपने काट रहा
तरसेगा स्वच्छ हवा को
छटपटाता सा जीवन
सच क्षण भंगुर होगा
चेत चेत रे मूढ़ मते
अंत तुझे पछताना होगा।
कुसुम कोठारी।
महा अज्ञानी
क्या कर रहा
तूं अभिमानी
अपने नाश का
बीज बो रहा
क्यों कहते
तूझे सुज्ञानी
आज तक विज्ञान
खोज मे
एक बात तो साफ हुई
कितने ग्रह उपग्रह है
लेकिन
इस धरा को छोड,
ना है मानव कहीं
तूं इसी धरा को
रहा उजाड़
दोहन करता,
प्रदूषित करता
वन उजाड़ता ,
पेड़ काटता
अपने सर्वनाश का
खुद इंतजाम करता
जब ये धरा न होगी
कहां रहेगा तूं
सोच और कर मनन
क्यों हाथ अपने काट रहा
तरसेगा स्वच्छ हवा को
छटपटाता सा जीवन
सच क्षण भंगुर होगा
चेत चेत रे मूढ़ मते
अंत तुझे पछताना होगा।
कुसुम कोठारी।
सुंदर संदेशात्मक और प्रेरक कविता दी।
ReplyDeleteसमय रहते चेतना ही चाहिए वरना भुगतान कर पाना मुश्किल हो जायेगा।
स्नेह आभार श्वेता, दुष्परिणाम तो आने वाली पीढ़ीयां भुगतेगी लक्षण अभी से दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
ReplyDeleteजिस डाल पर बैठा है उसी को काट रहा है
ReplyDeleteया जिस थाली में खता है उसी में छेद कर रहा है.
चेतेगा कब पता नही.
सुंदर रचना.
हाथ पकडती है और कहती है ये बाब ना रख (गजल 4)
सादर आभार ।
Deleteअभिमान विनाश का कारण बन जाता है
ReplyDeleteएक उत्कृष्ट रचना
जी सकारात्मक प्रतिक्रिया कि स्वागत है सादर आभार।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २१ मई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
स्नेह आभार।
Deleteसुन्दर सीख देती प्रेरक रचना...
ReplyDeleteवाह!!!!
ढेर सारा आभार सुधा जी।
Deleteमानव चेतना को जगाती उसके द्वारा किए जा पतन से अवगत कराती सुंदर संदेश देती लाजवाब रचना
ReplyDeleteसुंदर प्रतिक्रिया का शुक्रिया बहन
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमानव की भौतिकतावादी सोच ने पर्यावरण को गंभीर ख़तरे पैदा किये हैं। प्रकृति के कटता जीवन अपनी रचनात्मकता केवल सुविधाभोगी आयामों तक सिमट गयी है।
ReplyDeleteसुन्दर रचना का सन्देश प्रभावशाली है।
जी सक्रिय व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया का बहुत बहुत आभार।
Deleteसार्थक संभाषण पर्यावरण संरक्षण पर।
सटीक कथन।
सुंदर संदेश देती सार्थक रचना सखी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मिली।
Deleteसस्नेह।