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Tuesday, 5 January 2021

आँसू क्षणिकाएं


 आँसू क्षणिकाएं


बह-बह नैन परनाल भये

दर्द ना बह पाय

हिय को दर्द रयो हिय में

कोऊ समझ न पाय।

~~

अश्क  बहते  गये

हम दर्द  लिखते  गये

समझ न  पाया  कोई

बंद किताबों में दबते गये ।

~~

रोने वाले सुन आँखों में

आँसू ना लाया कर

बस चुपचाप रोया कर

नयन पानी देख अपने भी

कतरा कर निकल जाते हैं।

~~

दिल के खजानों को

आँखों से न लुटाया कर

ये वो दौलत है जो रूह में

महफूज़ रहती है।

~~

दर्द को यूँ सरेआम न कर

कि दर्द अपना नूर ही खो बैठे।

~~

आँखों  से मोती गिरा

हिय को हाल बताय।

लब कितने खामोश रहे

आँखें हाल सुनाय।

~~

   कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

16 comments:

  1. वाह! लाजवाब 👌

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    1. सस्नेह आभार प्रिय बहना।

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  2. रोने वाले सुन आँखों में
    आँसू ना लाया कर
    बस चुपचाप रोया कर
    नयन पानी देख अपने भी
    कतरा कर निकल जाते हैं।
    बहुत सटीक... सुन्दर...
    लाजवाब क्षणिकाएं।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी , आपकी प्रतिक्रिया सदा लेखन में नव उर्जा का संचार करती है।
      सस्नेह।

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।

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  4. दर्द को यूँ सरेआम ना कर
    कि दर्द अपना नूर ही ना खो बैठे!
    वाह! बहना! आंसूओं और दर्द के चोली दामन से साथ को क्या खूब बयाँ कर दिया आपने!!
    हार्दिक शुभकामनाएं!!!❤❤❤🌹🌹🙏🙏❤❤

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    1. मुग्ध करतीं प्रतिक्रिया रेणु बहन आपकी,उत्साहवर्धक सार्थक
      सस्नेह आभार आपका।

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2001...यात्रा के अनेक पड़ाव होते हैं...) पर गुरुवार 07 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. पांच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
      मैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  6. बेहतरीन रचना, दर्द को सरेआम न कर कि दरद अपना नूर खो बैठे"बहुत सुंदर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका, आपकी प्रतिक्रिया से रचना को नवीन ऊर्जा मिली।
      सादर।

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  7. सच है ! रोने वाले से सभी कन्नी काटते हैं

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    1. लेखन को समर्थन देने के लिए हृदय तल से आभार आपका।
      सुंदर प्रतिक्रिया।
      सादर।

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