आँसू क्षणिकाएं
बह-बह नैन परनाल भये
दर्द ना बह पाय
हिय को दर्द रयो हिय में
कोऊ समझ न पाय।
~~
अश्क बहते गये
हम दर्द लिखते गये
समझ न पाया कोई
बंद किताबों में दबते गये ।
~~
रोने वाले सुन आँखों में
आँसू ना लाया कर
बस चुपचाप रोया कर
नयन पानी देख अपने भी
कतरा कर निकल जाते हैं।
~~
दिल के खजानों को
आँखों से न लुटाया कर
ये वो दौलत है जो रूह में
महफूज़ रहती है।
~~
दर्द को यूँ सरेआम न कर
कि दर्द अपना नूर ही खो बैठे।
~~
आँखों से मोती गिरा
हिय को हाल बताय।
लब कितने खामोश रहे
आँखें हाल सुनाय।
~~
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteसादर आभार आपका।
Deleteवाह! लाजवाब 👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार प्रिय बहना।
Deleteरोने वाले सुन आँखों में
ReplyDeleteआँसू ना लाया कर
बस चुपचाप रोया कर
नयन पानी देख अपने भी
कतरा कर निकल जाते हैं।
बहुत सटीक... सुन्दर...
लाजवाब क्षणिकाएं।
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी , आपकी प्रतिक्रिया सदा लेखन में नव उर्जा का संचार करती है।
Deleteसस्नेह।
वाह वाह
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
Deleteदर्द को यूँ सरेआम ना कर
ReplyDeleteकि दर्द अपना नूर ही ना खो बैठे!
वाह! बहना! आंसूओं और दर्द के चोली दामन से साथ को क्या खूब बयाँ कर दिया आपने!!
हार्दिक शुभकामनाएं!!!❤❤❤🌹🌹🙏🙏❤❤
मुग्ध करतीं प्रतिक्रिया रेणु बहन आपकी,उत्साहवर्धक सार्थक
Deleteसस्नेह आभार आपका।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2001...यात्रा के अनेक पड़ाव होते हैं...) पर गुरुवार 07 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteपांच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
Deleteमैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बेहतरीन रचना, दर्द को सरेआम न कर कि दरद अपना नूर खो बैठे"बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका, आपकी प्रतिक्रिया से रचना को नवीन ऊर्जा मिली।
Deleteसादर।
सच है ! रोने वाले से सभी कन्नी काटते हैं
ReplyDeleteलेखन को समर्थन देने के लिए हृदय तल से आभार आपका।
Deleteसुंदर प्रतिक्रिया।
सादर।