विज्ञात योग छंद आधारित गीत।
10/8
रात का सौंदर्य
चांदी हैं फैली
नदिया के तट
साथ चलें सजनी
चल वंशीवट।
झांझर है झनकी
मन भी बहका
बागों में कैसा
सौरभ महका
चहुं दिशा पसरे
उर्मि भरे घट।।
हवा चली मधुरिम
झिंगुर बोले
कानों में जैसे
मधु रस घोले
संभालो गोरी
बहक उड़ी लट।
आते जब कान्हा
बंसी बजती
नाचे ललनाएं
राधे सजती
बोले जग सारा
श्री हरि नटखट।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सांध्य मुखरित का साथ पाकर रचना और मुखरित हुई।
Deleteमैं उपस्थित रहूंगी ।
सादर।
सुन्दर नवगीत।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सादर।
बेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी।
Deleteमन खुश हो, उल्लसित हो तो हर चीज खुशगवार लगती है
ReplyDeleteसही कहा आपने,रचना को समर्थन देती प्रतिक्रिया से रचना प्रवाह मान हुई।
Deleteसादर आभार आपका।
बहुत सुंदर सृजन, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर मधुर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
Deleteसादर।
अत्यंत सुन्दर गीत ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
Deleteआपकी उपस्थिति सदा मुझे प्रेरित करती है नव सृजन के लिए ।
सस्नेह।
वाह!कुसुम जी ,बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शुभा जी उत्साहवर्धन के लिए।
Deleteसस्नेह।
वाह
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर।
अति सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन करती सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए सादर।
Deleteलाजवाब शब्द चित्र प्रिय कुसुम बहन. आपकी प्रतिभा का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं . हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🌹🌹🙏🌹🌹
ReplyDeleteरेणु बहन आपकी हृदय को आनंदित करती प्रतिक्रिया से रचना को नये आयाम मिले।
Deleteआपका स्नेह सदा मुझे नव उर्जा से भर देता है।
सस्नेह बहन।
सुन्दर मधुर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका विभाग बहना।
Deleteआपकी उपस्थिति सदा खुशगवार होती है ।
सस्नेह।
आते जब कान्हा
ReplyDeleteबंसी बजती
नाचे ललनाएं
राधे सजती
बोले जग सारा
श्री हरि नटखट।।
मनोहारी चित्रण...
वाह ! बहुत सुंदर रचना कुसुम जी 🌹🙏🌹
बहुत बहुत आभार आपका शरद जी आपकी भाव भीनी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मनोहारी चित्रण के लिए आपको बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रचना को सरनेम देने के लिए।
Deleteसादर।
बहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteमैं उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीय / प्रिय,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग "Varsha Singh" में आपका स्वागत है। मेरी पोस्ट दिनांक 24.01.2021 "गणतंत्र दिवस और काव्य के विविध रंग" में आपका काव्य भी शामिल है-
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गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाओं सहित,
सादर,
- डॉ. वर्षा सिंह
आदरणीय / प्रिय,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग "Varsha Singh" में आपका स्वागत है। मेरी पोस्ट दिनांक 24.01.2021 "गणतंत्र दिवस और काव्य के विविध रंग" में आपका काव्य भी शामिल हैं-
httpp://varshasingh1.blogspot.com/2021/01/blog-post_24.html?m=0
गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाओं सहित,
सादर,
- डॉ. वर्षा सिंह