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Sunday, 24 January 2021

बेटियाँ


 राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सभी खिलती कलियों को समर्पित 


बेटियाँ


और फिर वो उड़ चली लो 

तोड़ कर सब आज बेड़ी 

थाम टुकड़ा आसमानी 

जो बची खुशियाँ समेटी।।


थी हृदय में एक ज्वाला 

कामना पर सात पहरे 

मार कर जीती रही वो 

मन दबाये भाव गहरे 

मान औ सम्मान पर फिर 

शीघ्र सब की आँख टेढ़ी।।


कौन सी घड़ियों बनी थी 

विधि अमानित सी कठिनतम 

आश्रिता होगी सदा ही 

घोर जीवन में घिरा तम 

बंद बाड़े खूंट बाँधी 

मौन रंभाती बछेड़ी।।


कम नही बेटी किसी से 

ये प्रमा‌णित हो चुका है 

योग्यता के सामने अब 

हर किसी का सर झुका है 

कल्पना ही नाचती हैं 

धार दुर्गा रूप बेटी ।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

11 comments:

  1. थी हृदय में एक ज्वाला

    कामना पर सात पहरे

    मार कर जीती रही वो

    मन दबाये भाव गहरे

    मान औ सम्मान पर फिर

    शीघ्र सब की आँख टेढ़ी।।..बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बहुत सुन्दर रचना रचना..

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  2. कम नही बेटी किसी से
    ये प्रमा‌णित हो चुका है
    योग्यता के सामने अब
    हर किसी का सर झुका है
    कल्पना ही नाचती हैं
    धार दुर्गा रूप बेटी ।।

    सुंदर रचना....

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  3. थी हृदय में एक ज्वाला

    कामना पर सात पहरे

    मार कर जीती रही वो

    मन दबाये भाव गहरे
    कड़वी सच्चाई व्यक्त की है आपने, कुसुम दी।

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  4. सामयिक और सुन्दर रचना।
    --
    गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. बेटियों पर लिखी बहुत सुंदर रचना
    बधाई

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  6. और फिर वो उड़ चली लो

    तोड़ कर सब आज बेड़ी

    थाम टुकड़ा आसमानी

    जो बची खुशियाँ समेटी।। बहुत सुन्दर रचना बधाई हो आपको

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