परमेश्वरा
"परमेश्वरा "
तमो वितान
तम हर, दे ज्योति
पालनहार।
निशा थी काली
भोर की फैला लाली
हे ज्योतिर्मय।
शंकित मन
शंका हर , दे वर
जगत पिता।
रुठा है भाग्य
शरण तेरी आये
वरद दे हस्त।
आया शरण
भव नाव डोलत
परमेश्वरा ।
मंजिल भूले
राह नही सूझत
दे दिशा ज्ञान।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह दी सुंदर,ईश के चरणों में समर्पित बहुत सुंदर हायकु।
ReplyDeleteबहुत सा आभार श्वेता ।
Deleteसस्नेह।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअद्भुत और अद्वितीय... पहली बार पढ़े हैं आपके द्वारा लिखे हाइकु । मन्त्रमुग्ध हूँ... बेमिसाल हाइकु ।
ReplyDeleteबहुत सा आभार मीना जी मेरे भावों पर सुंदर मनभावन टिप्पणी आपकी रचना को सार्थकता प्रदान कर गई।
Deleteसस्नेह
बहुत सुन्दर और उपयोगी हाइकु।
ReplyDeleteबहुत सा आभार आदरणीय।
Deleteप्रोत्साहन के लिए।
सुंदर हाइकु
ReplyDeleteस्नेह आभार सुधा जी! मेरे लघु बंध पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से हर्ष हुआ।
ReplyDeleteसस्नेह।
सुंदर हाइकु
ReplyDelete