अवसान
धूप शाम ढले आखिर
थक ही गई!
सारा दिन कितनी
तमतमाई सी गुस्साई!
अपनी गर्मी से शीतलता का
दोहन करती।
विजेता सी गर्व में
गर्म फुत्कार छोड़ती ।
जैसे सब भष्म कर देगी
अपनी अगन से।
ताल तलैया सब पी गई
अगस्त्य ऋषि जैसे।
हर प्राणी को अपने तीव्र
प्रचंड ताप से त्रस्त करती।
हवा को गर्म खुरदरे वस्त्र पहना
अपने साथ ले चलती।
त्राहिमाम मचाती
दानवी प्रवृति से सब को सताती।
आज सब जला देगी
जड़ चेतन प्राण औ धरती।
सूर्य का खूंटा पकड़ बिफरी
दग्ध दावानल मचाके।
आखिर थक गई शाम ढले
छुप बैठी जाके छाया में ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
धूप शाम ढले आखिर
थक ही गई!
सारा दिन कितनी
तमतमाई सी गुस्साई!
अपनी गर्मी से शीतलता का
दोहन करती।
विजेता सी गर्व में
गर्म फुत्कार छोड़ती ।
जैसे सब भष्म कर देगी
अपनी अगन से।
ताल तलैया सब पी गई
अगस्त्य ऋषि जैसे।
हर प्राणी को अपने तीव्र
प्रचंड ताप से त्रस्त करती।
हवा को गर्म खुरदरे वस्त्र पहना
अपने साथ ले चलती।
त्राहिमाम मचाती
दानवी प्रवृति से सब को सताती।
आज सब जला देगी
जड़ चेतन प्राण औ धरती।
सूर्य का खूंटा पकड़ बिफरी
दग्ध दावानल मचाके।
आखिर थक गई शाम ढले
छुप बैठी जाके छाया में ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-05-2020) को "अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3700) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteमैं चर्चा पर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
सब अपनी अपनी प्रवृत्ति के अनुसार व्यवहार करते हैं। उसी प्रकार गर्मी भी। सबकी काल सीमा निश्चित होती है और अति का अंत भी अवश्य होता है।
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से गर्मी का मानवीकरण किया आपने।
बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी सुंदर विस्तृत व्याख्यात्मक टिप्पणी से रचना के भाव मुखरित हुवे, उर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार।
Deleteसस्नेह।
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteवाह.... अद्भुत अप्रतिम रचना 👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दी आपका आना ही रचना का पुरस्कार है।
Deleteबहुत बहुत आभार।
सादर।
गर्मी का बहुत ही सुंदर वर्णन किया हैं आपने, कुसुम दी।
ReplyDeleteआपको पसंद आया ज्योति बहन रचना सार्थक हुई।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
सस्नेह
बहुत खूब... ,भावपूर्ण सृजन ,सादर नमन आपको
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