अलाव
अच्छा लगता है ना जाडे में अलाव सेकना,
खुले आसमान के नीचे बैठ सर्दियों से लडना,
हां कुछ देर गर्माहट का एहसास
तन मन को अच्छा ही लगता है,
पर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम ,
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
बेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव ,
गर्मीयों में सूरज सा जलाता अलाव
धधक-धधक खदबदाता ,
बरसात में सिलन लिये धुंवा-धुंवा अलाव
बाहर बरसता सावन, अंदर सुलगता ,
पतझर में आशाओं के झरते पत्तों का अलाव
उडा ले जाता कहीं उजडती अमराइयों में ,
सर्दी में सुकून भरा गहरे तक छलता अलाव।
कुसुम कोठारी।
अच्छा लगता है ना जाडे में अलाव सेकना,
खुले आसमान के नीचे बैठ सर्दियों से लडना,
हां कुछ देर गर्माहट का एहसास
तन मन को अच्छा ही लगता है,
पर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम ,
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
बेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव ,
गर्मीयों में सूरज सा जलाता अलाव
धधक-धधक खदबदाता ,
बरसात में सिलन लिये धुंवा-धुंवा अलाव
बाहर बरसता सावन, अंदर सुलगता ,
पतझर में आशाओं के झरते पत्तों का अलाव
उडा ले जाता कहीं उजडती अमराइयों में ,
सर्दी में सुकून भरा गहरे तक छलता अलाव।
कुसुम कोठारी।
झुलसते जज्बात को कहाँ ठण्ड लगती है ... ये सुलगते हैं हर मौसम में ...
ReplyDeleteबहुत लाजवाब भाव ...
बहुत सा आभार आपकी सार्थक टिप्पणी सदा उत्साह वर्धक होती है ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१६ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी सादर स्नेह आभार।
Deleteमौसम अनुकूल अलाव का चित्रण ,सच यादों के जंगल में गीली लकड़ियों के सुलगते अलाव
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी ।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से मन खुश हुआ।
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
ReplyDeleteबेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव , बेहतरीन रचना सखी 👌👌
सुंदर सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली।
Deleteबिलकुल सत्य....
ReplyDeleteपर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम ,
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
बेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव....
बहुत ही मार्मिक सृजन ,सादर नमस्कार आपको
बहुत बहुत आभार कामिनी जी ,आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली।
Deleteसस्नेह
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दी । बहुत अच्छा लगता है आपको ब्लाग पर देख कर ।
Deleteअन्दर झुलसते जज्बातों का अलाव तो सारी खुशियखुशियाँँ ही झुलसा देता है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना।
बहुत आभार सुधा जी सक्रिय प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुखद है सर्दी का ये अलाव |
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