मां मैैं , मैैं प्रसू मैैं धात्री
मेरा नन्हा झूल रहा था
मेरी आस के पलने में
किसलय सा कोमल सुकुमार
फूलों जैसी रंगत
मुस्कानो के मोती लब पे
उसकी अनुगूँज अहर्निश
किलकारी में सरगम
मुठठी बांधे हाथों की थिरकन
ज्यों विश्व विजय पर जाना
प्रांजल जैसा रूप मनोहर
प्रांजल सी प्रति छाया
देख के उस के करतब
अंतस तक हरियाया
याद है मुझको वो
प्रथम स्पंदन जो अंदर
गहरे अनुराग कर पुलकित
गात को दे मधुर आभास
मै मां मै प्रसू मै धात्री
कर धारण तूझको
सृष्टि भाल सुशोभित
नील मणि सम गर्वित
चंद्र कला सी बढती शोभा
ब्रह्मा स्वरुप विश्व सृजक
पहला पदार्पण एक सिहरन
अशक्त नाजुक देह कंपित
निर्बोध डरा सा मन बेताब
प्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
हल्की महक मां की परिचित
और सब अंजान,
मां ने पाया नव जीवन औ'
विधाता से अप्रतिम वरदान।
कुसुम कोठारी ।
मेरा नन्हा झूल रहा था
मेरी आस के पलने में
किसलय सा कोमल सुकुमार
फूलों जैसी रंगत
मुस्कानो के मोती लब पे
उसकी अनुगूँज अहर्निश
किलकारी में सरगम
मुठठी बांधे हाथों की थिरकन
ज्यों विश्व विजय पर जाना
प्रांजल जैसा रूप मनोहर
प्रांजल सी प्रति छाया
देख के उस के करतब
अंतस तक हरियाया
याद है मुझको वो
प्रथम स्पंदन जो अंदर
गहरे अनुराग कर पुलकित
गात को दे मधुर आभास
मै मां मै प्रसू मै धात्री
कर धारण तूझको
सृष्टि भाल सुशोभित
नील मणि सम गर्वित
चंद्र कला सी बढती शोभा
ब्रह्मा स्वरुप विश्व सृजक
पहला पदार्पण एक सिहरन
अशक्त नाजुक देह कंपित
निर्बोध डरा सा मन बेताब
प्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
हल्की महक मां की परिचित
और सब अंजान,
मां ने पाया नव जीवन औ'
विधाता से अप्रतिम वरदान।
कुसुम कोठारी ।
पहला पदार्पण एक सिहरन
ReplyDeleteअशक्त नाजुक देह कंपित
निर्बोध डरा सा मन बेताब
प्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
हल्की महक मां की परिचित
और सब अंजान,
मां ने पाया नव जीवन औ'
विधाता से अप्रतिम वरदान। बेहद खूबसूरत भाव बहुत सुंदर रचना सखी
सस्नेह आभार सखी आपका स्नेह सदा अतुल्य है मेरे लिये ।
Deleteबेहद सुंदर रचना दी..अप्रतिम भाव..वाहहह..👌👌
ReplyDeleteनव शिशु के आगमन का चित्र चलचित्र की भाँति सजीव हो उठा...आपके बहुमूल्य शब्दकोश के खज़ाने से निकले बेशकीमती शब्दों ने रचना की आभा को द्विगुणित कर दिया।
सस्नेह आभार श्वेता आपकी सराहना मेरे लिये बेसकीमती है सदा, और ऐसी सांगोपांग प्रतिक्रिया से तो रचना सार्थक हो जाती है लगता है कुछ ठीक ठाक लिख ही लिया है सच कहूं तो आपकी सार्थक उपस्थिति रचना को गति प्रदान करती है ।
Deleteढेर सा स्नेह।
वाह वाह वाह मीता वाह ....अद्भुत लेखन मन अंदर तक उमंग से उद्वेलित हो आया !
ReplyDeleteकाव्य लिखा या बह गई
मातत्व की धार
तृप्त भाव हिय से बहे
मुक्त युक्त सा प्यार !
सस्नेह आभार मीता आपकी इतनी प्यारी प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थकता दी आपका स्नेह अतुल्य है मेरे लिये और आपकी सुंदर प्रतिपंक्तियां रचना के समानांतर मनभावन ।
Deleteसस्नेह।
वा...व्व...बहुत सुंदर रचना कुसुम दी।
ReplyDeleteआपकी वाह ने रचना को सही मनत्व्य दिया प्रिय ज्योति जी ढेर सा स्नेह आभार ।
Deleteवाह सखी! ढेर सा आभार ।
ReplyDeleteमैं अवश्य आऊंगी।
सादर।
विगत सभी त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया सदा प्रोत्साहित करती है।
Deleteमन्त्रमुग्ध हूँ आपकी भावाभिव्यक्ति के समक्ष ।
ReplyDeleteढेर सा आभार सखी, रचना आपकी भाव भीनी सराहना से सार्थक हुई।
Deleteप्रिय कुसुम बहन -- शिशु के आगमन पर पुलकित ममता के वात्सल्य भरे अनूठे भावों से युक्त सरस , मधुर रचना जिसे पढकर कोई भी माँ एक माँ होने का गर्व महसूस कर सकती है | अत्यंत सराहनीय साहित्यिक रचना जिसमे शब्द शब्द ममत्व प्रवाहमान है |
ReplyDeleteप्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
हल्की महक मां की परिचित!!!!!!!!!!! बहुत सुंदर ! सस्नेह हार्दिक बधाई आपको |
सच कहूं रेनू बहन हम काफी कुछ लिखने को लिख देते हैं,
ReplyDeleteपर कुछ ऐसा लिखते हैं जो हृदय के पास से निकल कर आये हुवे स्वर होते हैं जो हम स्वयं सुनते हैं और उन्हें लेखन के जरिये पाठको के बीच बहुत ही नजाकत से रखते हैं, और वो हमारी पसंदीदा अभिव्यक्ति होती है और उस रचना पर जब आप जैसे प्रबुद्ध वर्ग इतनी मन को छूने वाली प्रतिक्रिया या टिप्पणी देते है तो रचना कार आत्म संतोष से भर जाता है।
ढेर सा स्नेह बहन