बरखा ने ली विदाई
आया शरद सुखदाई
साफ निलाम्बर खोले
अपनी गठरी
हीरकणी से बिखेरे
तारे मनोहारी
नदिया ने भी की गति मद्दम
सरसों फूली
हरित पीत अवनी
सुंदर सरस मनभावन
दादुर मौन, पपीहा हर्षित
स्वागत शरद! सदा सुखदाई !!
शरद का सुस्वागतम और बरखा को सस्नेह विदाई !!!!! सचमुच शरद का आना प्रकृति को नयें सुहावने रूप में रंग देता है | सुंदर रचना प्रिय कुसुम बहन | हार्दिक शुभकामनायें |
सुन्दर शांत भाव काव्य
ReplyDeleteसस्नेह आभार मीता ।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसादर आभार लोकेश जी।
Deleteबेहद सुंदर रचना 👌 कुसुम जी
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है।
Deleteब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/11/2018 की बुलेटिन, " गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सादर आभार आदरणीय मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में प्रकाशित करने हेतू
Deleteआप को भी सभी गत और आगत त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं।
वाह !!बहुत खूब सखी 👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी विगत और आगत सभी त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteशरद के स्वागत में सुन्दर पंक्तियाँ ... प्राकृति अपने सौन्दर्य के साथ यूँ ही निकारती है शरद में ...
ReplyDeleteसादर आभार नासवा जी, सुंदर व्याख्या के साथ प्रतिक्रिया आपकी।
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ReplyDeleteशरद का सुस्वागतम और बरखा को सस्नेह विदाई !!!!! सचमुच शरद का आना प्रकृति को नयें सुहावने रूप में रंग देता है | सुंदर रचना प्रिय कुसुम बहन | हार्दिक शुभकामनायें |
ReplyDeleteसस्नेह आभार रेनू बहन आपकी प्रतिक्रिया से मौसम और सुहाना हो गया, सच कहा आपने शरद के आते ही प्रकृति नये रूप में सजने लगती है।
ReplyDeleteसस्नेह।