Wednesday, 7 November 2018

बरखा की विदाई

बरखा की विदाई

बरखा ने ली विदाई
आया शरद सुखदाई
साफ निलाम्बर खोले
अपनी गठरी
हीरकणी से बिखेरे
तारे मनोहारी
नदिया ने भी की गति मद्दम
सरसों फूली
हरित पीत अवनी
सुंदर सरस मनभावन
दादुर मौन, पपीहा हर्षित
स्वागत शरद! सदा सुखदाई !!

        कुसुम कोठरी ।

15 comments:

  1. सुन्दर शांत भाव काव्य

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  2. सस्नेह आभार मीता ।

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  3. बेहद सुंदर रचना 👌 कुसुम जी

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है।

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  4. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनाएं|


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/11/2018 की बुलेटिन, " गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. सादर आभार आदरणीय मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में प्रकाशित करने हेतू
      आप को भी सभी गत और आगत त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. वाह !!बहुत खूब सखी 👌

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    1. सस्नेह आभार सखी विगत और आगत सभी त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं

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  6. शरद के स्वागत में सुन्दर पंक्तियाँ ... प्राकृति अपने सौन्दर्य के साथ यूँ ही निकारती है शरद में ...

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  7. सादर आभार नासवा जी, सुंदर व्याख्या के साथ प्रतिक्रिया आपकी।

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  9. शरद का सुस्वागतम और बरखा को सस्नेह विदाई !!!!! सचमुच शरद का आना प्रकृति को नयें सुहावने रूप में रंग देता है | सुंदर रचना प्रिय कुसुम बहन | हार्दिक शुभकामनायें |

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  10. सस्नेह आभार रेनू बहन आपकी प्रतिक्रिया से मौसम और सुहाना हो गया, सच कहा आपने शरद के आते ही प्रकृति नये रूप में सजने लगती है।
    सस्नेह।

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