Thursday, 8 November 2018

मां मैं, मैं प्रसू, मैं धात्री

मां मैैं , मैैं प्रसू मैैं धात्री

मेरा नन्हा झूल रहा था
मेरी आस के पलने में
किसलय सा कोमल सुकुमार
फूलों जैसी रंगत
मुस्कानो के मोती लब पे
उसकी अनुगूँज अहर्निश
किलकारी में सरगम
मुठठी बांधे हाथों की थिरकन
ज्यों विश्व विजय पर जाना
प्रांजल जैसा रूप मनोहर
प्रांजल सी प्रति छाया
देख के उस के करतब
अंतस तक हरियाया
याद है मुझको वो
प्रथम स्पंदन जो अंदर
गहरे अनुराग कर पुलकित
गात को दे मधुर आभास
मै मां मै प्रसू मै धात्री
कर धारण तूझको
सृष्टि भाल सुशोभित
नील मणि सम गर्वित
चंद्र कला सी बढती शोभा
ब्रह्मा स्वरुप विश्व सृजक
पहला पदार्पण एक सिहरन
अशक्त नाजुक देह कंपित
निर्बोध डरा सा मन बेताब
प्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
हल्की महक मां की परिचित
और सब अंजान,
मां ने पाया नव जीवन औ'
विधाता से अप्रतिम वरदान।

        कुसुम कोठारी ।

15 comments:

  1. पहला पदार्पण एक सिहरन
    अशक्त नाजुक देह कंपित
    निर्बोध डरा सा मन बेताब
    प्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
    हल्की महक मां की परिचित
    और सब अंजान,
    मां ने पाया नव जीवन औ'
    विधाता से अप्रतिम वरदान। बेहद खूबसूरत भाव बहुत सुंदर रचना सखी

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    1. सस्नेह आभार सखी आपका स्नेह सदा अतुल्य है मेरे लिये ।

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  2. बेहद सुंदर रचना दी..अप्रतिम भाव..वाहहह..👌👌
    नव शिशु के आगमन का चित्र चलचित्र की भाँति सजीव हो उठा...आपके बहुमूल्य शब्दकोश के खज़ाने से निकले बेशकीमती शब्दों ने रचना की आभा को द्विगुणित कर दिया।

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    1. सस्नेह आभार श्वेता आपकी सराहना मेरे लिये बेसकीमती है सदा, और ऐसी सांगोपांग प्रतिक्रिया से तो रचना सार्थक हो जाती है लगता है कुछ ठीक ठाक लिख ही लिया है सच कहूं तो आपकी सार्थक उपस्थिति रचना को गति प्रदान करती है ।
      ढेर सा स्नेह।

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  3. वाह वाह वाह मीता वाह ....अद्भुत लेखन मन अंदर तक उमंग से उद्वेलित हो आया !
    काव्य लिखा या बह गई
    मातत्व की धार
    तृप्त भाव हिय से बहे
    मुक्त युक्त सा प्यार !

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    1. सस्नेह आभार मीता आपकी इतनी प्यारी प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थकता दी आपका स्नेह अतुल्य है मेरे लिये और आपकी सुंदर प्रतिपंक्तियां रचना के समानांतर मनभावन ।
      सस्नेह।

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  4. वा...व्व...बहुत सुंदर रचना कुसुम दी।

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    1. आपकी वाह ने रचना को सही मनत्व्य दिया प्रिय ज्योति जी ढेर सा स्नेह आभार ।

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  5. वाह सखी! ढेर सा आभार ।
    मैं अवश्य आऊंगी।
    सादर।
    विगत सभी त्योहारों की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. सादर आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया सदा प्रोत्साहित करती है।

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  7. मन्त्रमुग्ध हूँ आपकी भावाभिव्यक्ति के समक्ष ।

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    1. ढेर सा आभार सखी, रचना आपकी भाव भीनी सराहना से सार्थक हुई।

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  8. प्रिय कुसुम बहन -- शिशु के आगमन पर पुलकित ममता के वात्सल्य भरे अनूठे भावों से युक्त सरस , मधुर रचना जिसे पढकर कोई भी माँ एक माँ होने का गर्व महसूस कर सकती है | अत्यंत सराहनीय साहित्यिक रचना जिसमे शब्द शब्द ममत्व प्रवाहमान है |
    प्रथम क्रंदन, मां की मुस्कान
    हल्की महक मां की परिचित!!!!!!!!!!! बहुत सुंदर ! सस्नेह हार्दिक बधाई आपको |

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  9. सच कहूं रेनू बहन हम काफी कुछ लिखने को लिख देते हैं,
    पर कुछ ऐसा लिखते हैं जो हृदय के पास से निकल कर आये हुवे स्वर होते हैं जो हम स्वयं सुनते हैं और उन्हें लेखन के जरिये पाठको के बीच बहुत ही नजाकत से रखते हैं, और वो हमारी पसंदीदा अभिव्यक्ति होती है और उस रचना पर जब आप जैसे प्रबुद्ध वर्ग इतनी मन को छूने वाली प्रतिक्रिया या टिप्पणी देते है तो रचना कार आत्म संतोष से भर जाता है।
    ढेर सा स्नेह बहन

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