बेताबियों के अब्र
बरस जा ऐ बेसुमार बेताबियों के अब्र
सागर जो रुके आंखों में अब टूटा सब्र ।
ख्वाबों में सितारों से झोली भर ली होगी
ख्वाब टूटे कि फिर झोली खाली होगी।
आसमां में फूल गर खिल भी जायेंगे
आसमां के फूल हमारे काम क्या आयेंगें।
उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
कुसुम कोठारी।
बरस जा ऐ बेसुमार बेताबियों के अब्र
सागर जो रुके आंखों में अब टूटा सब्र ।
ख्वाबों में सितारों से झोली भर ली होगी
ख्वाब टूटे कि फिर झोली खाली होगी।
आसमां में फूल गर खिल भी जायेंगे
आसमां के फूल हमारे काम क्या आयेंगें।
उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
कुसुम कोठारी।
ख्वाबों में सितारों से झोली भर ली होगी
ReplyDeleteख्वाब टूटे कि फिर झोली खाली होगी।
बहुत सुन्दर !! स्वप्न और यथार्थ का सुन्दर चित्रण ।
स्नेह आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।।
Deleteउड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
ReplyDeleteआ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी
सस्नेह आभार सखी आपका
Deleteवाह वाह वाह ...हर शब्द खुमार सा कुछ सब्र सा बेसब्र सा कहता सुनता और बिखर जाता गूंज कर ...बेहतरीन सृजन मीता
ReplyDeleteस्नेह आभार मीता आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया से रचना गतिमान हुई बहुत सुंदर प्रतिक्रिया आपकी ।
Deleteवाह्ह्ह दी बहुत प्रभावशाली सुंदर रचना..वाह्ह्ह👌👌
ReplyDeleteये बंध तो कमाल है
आसमां में फूल गर खिल भी जायेंगे
आसमां के फूल हमारे काम क्या आयेंगें।
उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
सस्नेह आभार श्वेता आपकी सक्रिय उपस्थिति से रचना का मनत्व्य स्पष्ट हुवा।
Deleteउड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
ReplyDeleteआ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
वा...व्व...कुसुम दी बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत सा आभार प्रिय बहना आपकी सराहना से मन को उत्साह और लेखन को संबल मिला।
Deleteसदा स्नेह बनाये रखें।
मैने आपके कहे मुताबिक ई मेल सबस्क्रिब्शन विजिट जोड दिया दिशा निर्देश के लिये अपार आभार।
सस्नेह।
कुसुम दी, ब्लॉग पर ई-मेल सबस्क्रिब्शन का विजेट लगाइए न ताकि आपके नए पोस्ट की जानकरी मिल सके!
ReplyDeleteजी सखी, सादर।
Deleteवाह !!!बहुत खूब सखी 👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी आपको ब्लॉग पर देख अत्यन्त खुशी हुई स्नेह बनाये रखें।
Deleteबहुत सुंदर लिखती है दी..
ReplyDeleteशब्दों का लयात्मक लाजवाब।
प्रिय पम्मी जी आप सब का स्नेह और उत्साह वर्धन है, सस्नेह आभार बहना ।
Deleteलाजवाब सखी
ReplyDeleteढेर सा आभार सखी
Deleteजो चाहा वो ना मिला के दर्द को बखूबी बयाँ करती सुंदर रचना.
ReplyDeleteजी सादर आभार राकेश जी आपकी सुंदर व्याख्यात्मक टिप्पणी के साथ मनभावन प्रतिक्रिया का ।
Deleteसादर