Wednesday, 14 November 2018

बेताबियों के अब्र

बेताबियों के अब्र

बरस जा ऐ बेसुमार बेताबियों के अब्र
सागर जो रुके आंखों में अब टूटा सब्र ।

ख्वाबों में सितारों से झोली भर ली होगी
ख्वाब टूटे कि फिर झोली खाली होगी।

आसमां में फूल गर खिल भी जायेंगे
आसमां के फूल हमारे काम क्या आयेंगें।

उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।

                    कुसुम कोठारी।

20 comments:

  1. ख्वाबों में सितारों से झोली भर ली होगी
    ख्वाब टूटे कि फिर झोली खाली होगी।
    बहुत सुन्दर !! स्वप्न और यथार्थ का सुन्दर चित्रण ।

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    1. स्नेह आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।।

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  2. उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
    आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
    बहुत ही बेहतरीन रचना सखी

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    1. सस्नेह आभार सखी आपका

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  3. वाह वाह वाह ...हर शब्द खुमार सा कुछ सब्र सा बेसब्र सा कहता सुनता और बिखर जाता गूंज कर ...बेहतरीन सृजन मीता

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    1. स्नेह आभार मीता आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया से रचना गतिमान हुई बहुत सुंदर प्रतिक्रिया आपकी ।

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  4. वाह्ह्ह दी बहुत प्रभावशाली सुंदर रचना..वाह्ह्ह👌👌

    ये बंध तो कमाल है
    आसमां में फूल गर खिल भी जायेंगे
    आसमां के फूल हमारे काम क्या आयेंगें।

    उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
    आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।

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    1. सस्नेह आभार श्वेता आपकी सक्रिय उपस्थिति से रचना का मनत्व्य स्पष्ट हुवा।

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  5. उड़ानें थी ऊंचाइयों पे था कितना दम खम
    आ गऐ धरा पे टूटी तमन्ना का लिये गम ।
    वा...व्व...कुसुम दी बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।

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    1. बहुत सा आभार प्रिय बहना आपकी सराहना से मन को उत्साह और लेखन को संबल मिला।
      सदा स्नेह बनाये रखें।
      मैने आपके कहे मुताबिक ई मेल सबस्क्रिब्शन विजिट जोड दिया दिशा निर्देश के लिये अपार आभार।
      सस्नेह।

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  6. कुसुम दी, ब्लॉग पर ई-मेल सबस्क्रिब्शन का विजेट लगाइए न ताकि आपके नए पोस्ट की जानकरी मिल सके!

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  7. वाह !!!बहुत खूब सखी 👌

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    1. सस्नेह आभार सखी आपको ब्लॉग पर देख अत्यन्त खुशी हुई स्नेह बनाये रखें।

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  8. बहुत सुंदर लिखती है दी..
    शब्दों का लयात्मक लाजवाब।

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    1. प्रिय पम्मी जी आप सब का स्नेह और उत्साह वर्धन है, सस्नेह आभार बहना ।

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  9. जो चाहा वो ना मिला के दर्द को बखूबी बयाँ करती सुंदर रचना.

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    1. जी सादर आभार राकेश जी आपकी सुंदर व्याख्यात्मक टिप्पणी के साथ मनभावन प्रतिक्रिया का ।
      सादर

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