हिन्दी को समर्पित दोहे।
सभी दिवस हिंदी रहे,भाषा की सिरमौर।
सारा हिन्दुस्तान ही, भाल रखें ज्यों खौर।।
हिंदी मेरा मान है, हिंदी ही शृंगार ।
भाषा के तन पर सजा, सुंदर मुक्ता हार।।
हिंदी सदा लगे मुझे, सहोदरा सी मीत।
हिंदी ने भर-भर दिया, जीवन में संगीत।
बिन हिंदी मैं मूक हूँ, टूटी जैसे बीन।
लाख जतन कर लो मगर, जल बिन तड़पे मीन।।
हिंदी दिवस मना रहे, चहुँ दिशि गूंजे नाद।
हिंदी पर आश्रित रहे, ऐसे कम अपवाद।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'।
बहुत ही सुंदर सराहनीय दोहे आदरणीय कुसुम दी जी।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
हृदय से आभार आपका उत्साह वर्धन के लिए।
Deleteसस्नेह।
हिंदी मेरा मान है, हिंदी ही शृंगार ।
ReplyDeleteभाषा के तन पर सजा, सुंदर मुक्ता हार।।
हिंदी सदा लगे मुझे, सहोदरा सी मीत।
हिंदी ने भर-भर दिया, जीवन में संगीत।
सच हम तो हिंदी से ही रचे बसे, उसी में जीते, पहनते ओढ़ते, उसी से जीवन का ताना बाना बुनते हैं,हमारे लिए तो वो जगद्जननी है,जीवन संदर्भ है । हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आदरणीय कुसुम जी 💐💐
हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी ,रचना के भावों को समर्थन देती, हिन्दी भाषा को समर्पित सुंदर पंक्तियां आपकी।
Deleteसस्नेह।
बहुत ही बेहतरीन दोहे सखी।
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका सखी।
Deleteसस्नेह।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (११-०१ -२०२२ ) को
'जात न पूछो लिखने वालों की'( चर्चा अंक -४३०६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच पर रचना का आना सदा आनंदित करता है,रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार आपका।
Deleteसादर सस्नेह।
कुसुम जी, काश कि हिंदी के विषय में आपके उद्गारों की बुनियाद मज़बूत हो !
ReplyDeleteजी सर हृदय से आभार आपका मेरा तो हिन्दी भाषा को पूरा समर्पण है।
Deleteहृदय से आभार आपका आपकी टिप्पणी से लेखन को नई ऊर्जा मिलती है ।
सादर।
बहुत ही उम्दा दोहे!
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका मनीषा जी।
Deleteसस्नेह।
वाह, मनमोहक दोहे!
ReplyDeleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर।
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका भारती जी ।
Deleteसस्नेह।
हिन्दी को समर्पित हिन्दी दिवस पर लाजवाब दोहे
ReplyDeleteवाह!!!