शूरां री धरती (राजस्थान)
कण-कण में जनम्या बाँकुड़ा
नाहर सिंघ सुबीर
देश दिसावर गगन गूँजतो
रुतबो राख्यो धीर।
शूर जनमिया इसा सांतरा
सूरज जितरी आग
कालजड़ों बेरयाँ रो काढ्यो
माटी जाग्या भाग
जोद्धा लडिया बिणा शीश के
अणुपम कितरा वीर।।
कँवली कुमदन सी लजकाण्याँ
माटी रो सणमाण
राण्याँ तपते तेज सी
पळ में तजगी प्राण
जौहर ज्वाला होली खेली
सदा सुरंगों चीर।
बालुंडारा नान्हा पगल्या
पालनिये दिख जावे
दाँता तले आंगल्याँ सा
करतब हिय लुभावे
प्राण लियाँ हाथाँ में घूमे
हरे देश री पीर।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बांकुड़ा=बांकुरे
जन्मया=जन्मे या जन्म लिया
देश-दिसावर=देश विदेश
रुतबों=महत्ता, जनमिया=जन्मे
सांतरा= जबरदस्त,जितरी=जितनी
कालजड़ो=कलेजा
बेरयाँ=दुश्मनों का
काढ्यो=निकाला
कितना =कितने
कँवली कुमदन सी लजकाण्याँ=
कोमल कमलिनी सी नाज़ुक (लचक वाली) सणमाण=सम्मान
सदा सुरंगों चीर= सदा सुहागन, जिनका वस्त्र सदा रंगीन हो।
बालुंडारा=बालको के, पगल्या=पैर,आंगल्याँ अगुलियाँ
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 25 जनवरी 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर आभार आपका पांच लिंक पर रचना को देखना सदैव सुखद अहसास। मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
Deleteसादर सस्नेह
शूर जनमिया इसा सांतरा
ReplyDeleteसूरज जितरी आग
कालजड़ों बेरयाँ रो काढ्यो
माटी जाग्या भाग
जोद्धा लडिया बिणा शीश के
अणुपम कितरा वीर।।
ओजपूर्ण चित्रण मरुभूमि का...आपके सृजन ने धरती धोरां री की बरबस याद दिला दी ॥ शब्द शब्द सरस और वीररस से परिपूर्ण।
अद्भुत और अप्रतिम सृजन कुसुम जी ॥
वाह!अद्भुत...
Deleteसच कहा आदरणीय मीना दी जी धरती धोरा के ज्यों बह रहा है सृजन।
सादर
हृदय से आभार आपका मीना जी,आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteधरती धोरा री अद्भुत गौरव गाथा है राजस्थान की आदरणीय कन्हैयालाल जी सेठिया द्वारा रचित कालजयी सृजन ,एक लम्बी कविता। मेरे छोटे से प्रयास करें ये गीत याद आया तो मेरा सौभाग्य है ये।
सस्नेह।
सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका आलोक जी।
Deleteबहुत दिनों तक धरती के लालों को, उनके इतिहास को छिपाया-दुराया गया ! भले ही देर हुई हो, पर आज जरुरत है वर्त्तमान पीढ़ी को अपने स्वर्णिम इतिहास की जानकारी देने की
ReplyDeleteजी सही है , बहुत प्रेरक प्रतिपंक्तियाँ हैं आपकी।
Deleteवर्त्तमान पीढ़ी को अपने स्वर्णिम इतिहास की जानकारी होनी ही चाहिए।
शानदार प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका गगन जी।
साबर।
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-1-22) को " अजन्मा एक गीत"(चर्चा अंक 4321)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
हृदय से आभार आपका कामिनी जी चर्चा में स्थान देने के लिए।
Deleteचर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
बहुत सुंदर भावपूर्ण,ओजपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteसस्नेह।
सच देश की पीर मिटाने वाले वीरभूमि राजस्थान का देशप्रेम सबके लिए प्रेरणास्रोत है
ReplyDeleteरचना राजस्थानी भाषा में पढ़कर मन में गहरे उतर गई
हृदय से आभार आपका कल्पना जी , सुंदर मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को नव उर्जा मिली ।
Deleteसस्नेह।
अद्भुत... आपकी प्रतिभा को नमन।
ReplyDeleteसादर
सस्नेह आभार आपका प्रिय अनिता।
Deleteसस्नेह।
अद्भुत सृजन 👌👌
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सखी ।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
अद्भुत सृजन बहुत-बहुत बधाई आपको
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया।
Deleteसादर।
वाह @
ReplyDeleteसुंदर व भावपूर्ण सृजन !@
जी हृदय से आभार आपका, उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया।
Deleteसादर।
बहुत बढियां सृजन
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका भारती जी, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए ।
Deleteसस्नेह।
क्या बात है कुसुम बहन! दांतों तले उंगली दबाने वाले शौर्यवीरों की उर्वर भूमि राजस्थान की सुन्दरअभ्यर्थना 👌👌👌 लोकभाषा में सौंदर्य और भी निखर आया। है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको 🙏🙏
ReplyDeleteआपकी दिलकश प्रतिक्रिया लेखन में सुहागे सा काम करती है, रेणु बहन ।
Deleteसस्नेह आभार आपका सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
सस्नेह।
अद्भुत रचना
ReplyDeleteसादर आभार आपका दी, रचना को आपका आशीर्वाद मिला।
Deleteसादर नमन।
आंचलिक भाषा में बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना!
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय, आपकी प्रतिक्रिया से
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सादर।
शूर वीरों का नमन आंचलिक भाषा में जितना सहज लगता है उतना किसी और भाषा में नहीं .. मिटटी की महक जुड़ जाती है ऐसे गीतों में लोक गीत की तरह ...
ReplyDeleteसही कहा आपने अपनी भाषा में भाव संप्रेषण प्रभावशाली होते हैं ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
सादर।