लेखनी नि:सृत मुकुल सवेरे
श्रृंग श्रेणी चढ़ दिवाकर
दृश्य कोरे है अछेरे
पाखियों की पाँत उड़ती
छोड़कर के नीड़ डेरे।।
कोकिला कूजित मधुर स्वर
मधुकरी मकरंद मोले
प्रीत पुलकित है पपीहा
शंखपुष्पी शीश डोले
शीत के शीतल करों में
सूर्य के स्वर्णिम उजेरे।।
मोद मधुरिम हर दिशा में
भूषिता भू भगवती है
श्यामला शतरूप धरती
पद्म पर पद्मावती है
आज लिख दे लेखनी फिर
नव मुकुल से नव सवेरे।।
मन खुशी में झूम झूमें
और मसि से नेह झाँके
कागज़ों पर भाव पसरे
चारु चंचल चित्र चाँके
पंक्तियों से छंद झरते
मुस्कुराते गीत मेरे।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
क्या बात है कुसुम जी ? निहशब्द हूं लेखनी से निकले इन अनमोल रत्न रूपी शब्दों के लिए । क्या लिखूं, बस.. इतना मन पे छा गई ये उत्कृष्ट रचना । आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई 💐💐🙏🙏
ReplyDeleteमैं अभिभूत हूँ जिज्ञासा जी, आपकी सराहना से सृजन जीवंत हो उठा।
Deleteहृदय से आभार आपका समय देकर रचना पर सुंदर टिप्पणी के लिए।
सस्नेह।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०६-०१ -२०२२ ) को
'लेखनी नि:सृत मुकुल सवेरे'(चर्चा अंक-४३०१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी हृदय से आभार आपका, चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
बेहद खूबसूरत सृजन सखी 👌👌
ReplyDeleteप्रशंसा के लिए हृदय से आभार आपका सखी।
Deleteसस्नेह।
कोकिला कूजित मधुर स्वर
ReplyDeleteमधुकरी मकरंद मोले
प्रीत पुलकित है पपीहा
शंखपुष्पी शीश डोले
शीत के शीतल करों में
सूर्य के स्वर्णिम उजेरे।।
वाह!!!!
सराहना से परे ! निःशब्द करती रचना
अद्भुत एवं लाजवाब
🙏🙏🙏🙏🙏
आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना सदा नये आयाम पाती है सुधा जी।
Deleteस्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
स्नेह आभार आपका हृदय से।
बहुत खूबसूरत , एक एक शब्द अनमोल सी
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका भारती जी।
Deleteसस्नेह।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 06 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत आभार आपका पांच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
लाज़बाब प्रिय कुसुम।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका आदरणीय दी।
Deleteमन ऊर्जावान हुआ।
सादर।
बहुत बेहतरीन आदरणीया
ReplyDeleteमन खुशी में झूम झूमें
ReplyDeleteऔर मसि से नेह झाँके
कागज़ों पर भाव पसरे
चारु चंचल चित्र चाँके
पंक्तियों से छंद झरते
मुस्कुराते गीत मेरे।।
..बहुत सुन्दर भाव ..
बहुत बहुत आभार आपका कविता जी आपकी उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ।
Deleteसस्नेह।
चित्त चमत्कृत चित्र पर,
ReplyDeleteकुसुम ने मधुराग घोले।
मन मसि-से अमिय रस में,
यमक और अनुप्रास डोले।
वाह! लाजवाब रचना कुसुम जी!
आपकी प्रबुद्ध लेखनी से निसृत काव्यात्मक सरस प्रतिक्रिया से रचना नये आयाम पा गई विश्व मोहन जी।
Deleteमैं अभिभूत हूँ।
सादर आभार आपका।
बहुत सुन्दर बहुत मधुर रचना । बहुत बहुत शुभ कामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आलोक जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर।
बहुत ही उत्कृष्ट लेखन
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका सदा जी।
Deleteलेखन में नव उर्जा संचार करती प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
बहुत सुंदर रचना 🌷🙏🌷
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका शरद जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसस्नेह।