भाण
गीत नव सुंदर रचे हैं
पाण रखना चाहिए।
जब लिखो तुम शब्द कहते
भाण रखना चाहिए।
एक से बढ़ लेखनी है
काव्य रचती भाव भी
कल्पना की डोर न्यारी
और गहरे घाव भी
गंध को भरले हृदय में
घ्राण रखना चाहिए।।
हो विचारों में गहनता
संयमी जीवन रहे
कामना की दाह पर भी
बाँध से पानी बहे
लालसा बहती सुनामी
त्राण रखना चाहिए।।
नील कंठी शिव प्रभु में
तीक्ष्ण भी है ओज भी
मनसिजा को भस्म करके
दपदपाया तेज भी
जीत की हर चाह पर कुछ
ठाण रखना चाहिए।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
पाण=अभिनंदन ,भाण=ज्ञान ; बोध, ठाण=ठान घ्राण=सूंघने की शक्ति,मनसिजा =कामदेव
शिक्षा देती रचना. बहुत लाजवाब.
ReplyDeleteनई पोस्ट पुलिस के सिपाही से by पाश
जी सादर आभार आपका।
Deleteउत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया।
सादर।
वाह
ReplyDeleteसादर आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साह वर्धन हुआ।
हो विचारों में गहनता
ReplyDeleteसंयमी जीवन रहे
कामना की दाह पर भी
बाँध से पानी बहे
लालसा बहती सुनामी
त्राण रखना चाहिए।।
बहुत सुंदर सीख देती रचना,सादर नमन कुसुम जी
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसस्नेह।
कठिन तुकांतों की सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteरचना पर गहन दृष्टि ने रचना को नव चेतना दी है ।
सादर।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (३०-0६-२०२१) को
'जी करता है किसी से मिल करके देखें'(चर्चा अंक- ४१११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी बहुत बहुत आभार आपका,
Deleteमैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
चर्चा में शामिल होना सदा प्रसन्नता देता है।
सस्नेह।
जीवंतता से ओतप्रोत भावपूर्ण सुंदर रचना,आप की रचनाएँ हिंदी को समृद्ध कर रही हैं,सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहे।यही कामना है।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी श्लाघ्य प्रतिक्रिया ने नयी चेतना दी है मुझे और लेखन दोनों को।
Deleteसदा आभारी रहूंगी ,और सदा आपकी प्रतिक्रिया के इन्तजार में भी ।
सस्नेह।
सुन्दर संदेश लिए अनुपम सृजन । भाषा सौष्ठव अत्यंत सुन्दर ।
ReplyDeleteअप्रतिम सृजन ।
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी, आपकी जीवन्त प्रतिक्रिया सदा रचना में नव उर्जा भर देती है।
Deleteसदा स्नेह बनाए रखें।
सस्नेह।
नील कंठी शिव प्रभु में
ReplyDeleteतीक्ष्ण भी है ओज भी
मनसिजा को भस्म करके
दपदपाया तेज भी
जीत की हर चाह पर कुछ
ठाण रखना चाहिए।।
अद्भुत सृजन सखी
बहुत बहुत आभार आपका सखी।
Deleteआपकी टिप्पणी से लेखन को नव उर्जा मिली।
सस्नेह।
हो विचारों में गहनता
ReplyDeleteसंयमी जीवन रहे
कामना की दाह पर भी
बाँध से पानी बहे
लालसा बहती सुनामी
त्राण रखना चाहिए
जीवन मंत्र की तरह सीख देती हुई सुंदर सृजन
रचना में निहित भावों पर आपकी विहंगम दृष्टि ने रचना को नये आयाम दिये ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
हमेशा की तरह प्रभावशाली व गूढ़ रचना। ।।।
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका।।, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर।
हो विचारों में गहनता
ReplyDeleteसंयमी जीवन रहे
कामना की दाह पर भी
बाँध से पानी बहे
लालसा बहती सुनामी
त्राण रखना चाहिए।।
जीवन दर्शन से युक्त बेहतरीन रचना 🙏
बहुत बहुत आभार आपका शरद जी, आपकी व्याख्यात्मक टिप्पणी से लेखन को नव उर्जा मिलती है ।
Deleteसस्नेह
हो विचारों में गहनता
ReplyDeleteसंयमी जीवन रहे
कामना की दाह पर भी
बाँध से पानी बहे
लालसा बहती सुनामी
त्राण रखना चाहिए।।
सुन्दर संदेशप्रद एवं अद्भुत भाषा सौष्ठव से निर्मित लाजवाब नवगीत।
वाह!!!
हृदय तल से आभार आपका सुधा जी, आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया रचना को प्रवाह देती है ।
Deleteसस्नेह।
उत्कृष्ट कृति ।
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