मौसम में मधुमासी
रिमझिम बूँदों की बारातें
मौसम में मधुमासी जागी।
संग मलय पुरवाई लहरी
जलती तपन धरा की भागी।
धानी चुनर पीत फुलवारी
धरा हुई रसवंती क्यारी।
जगा मिलन अनुराग रसा के
नाही धोई दिखती न्यारी।
अंकुर फूट रहे कोमल नव
पादप-पादप कोयल रागी।।
कादम्बिनी चढ़ सौदामिनी
दमक बिखेरे दौड़ रही है।
लगी लगन दोनों में भारी
हार जीत की होड़ रही है।
वसुधा गोदी बाल खेलते
छपक नाद अति मोहक लागी।।
बाग सजा है रंग बिरंगा
जैसे सजधज खड़ी कामिनी।
श्वेत पुष्प रसराज लगे ज्यों
लता छोर से पटी दामिनी।
कली छोड़ शैशव लहकाई
श्यामल मधुप हुआ है बागी।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२-०६-२०२१) को 'बारिश कितनी अच्छी यार..' (चर्चा अंक- ४०९३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteचर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
मैं उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
वाह लाजबाव सृजन
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
Deleteसादर।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
Deleteसादर।
प्राकृतिक रंगों के रस से सरबोर रचना तन मन सब भिगा गई, सुंदर सृजन।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका जीज्ञासा जी,
Deleteआप को पसंद आया लेखन ,लिखना सार्थक हुआ।
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया सदा उर्जा का संचार करती है।
सस्नेह।
वाह ! बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका गगन जी ।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
सादर
वसुधा गोदी बाल खेलते
ReplyDeleteछपक नाद अति मोहक लागी।।---कितनी खूबसूरत पंक्तियां हैं.. वाह कुसुम जी।
बहुत बहुत आभार आपका , पंक्ति विशेष पर ध्यान आकर्षित करती सार्थक प्रतिक्रिया रचना को नव उर्जा से भर गई ।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर सृजन प्रिय कुसुम प्रत्येक शब्द पंक्तियाँ लाजबाब हैं।👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका दी।
Deleteआपकी उपस्थिति सदा दिल को सुकून से भर देती है।
सादर सस्नेह।
कादम्बिनी चढ़ सौदामिनी
ReplyDeleteदमक बिखेरे दौड़ रही है।
लगी लगन दोनों में भारी
हार जीत की होड़ रही है।
वसुधा गोदी बाल खेलते
छपक नाद अति मोहक लागी।।
खूबसूरत रचना सखी 👌👌
बहुत बहुत आभार आपका सखी उत्साहवर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न हुआ।
Deleteसस्नेह।
धानी चुनर पीत फुलवारी
ReplyDeleteधरा हुई रसवंती क्यारी।
जगा मिलन अनुराग रसा के
नाही धोई दिखती न्यारी।
बरसात के बाद प्राकृतिक सुषमा का सौन्दर्य देखते ही बनता है.., बहुत सजीव और मनमोहक सृजन ।
ढेर सारा आभार आपका मीना जी,
Deleteआपकी सजीव, स्नेहिल टिप्पणी से सदा मेरे लेखन को उर्जा मिलती है ।
सस्नेह।
मंत्रमुग्ध करती हुई अतुलनीय रचना - - कोमल भावों से परिपूर्ण सृजन, साधुवाद सह।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका,रचना में निहित भावों पर गहन दृष्टि, आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteकादम्बिनी चढ़ सौदामिनी
ReplyDeleteदमक बिखेरे दौड़ रही है।
लगी लगन दोनों में भारी
हार जीत की होड़ रही है।
वसुधा गोदी बाल खेलते
छपक नाद अति मोहक लागी।।
सरस रचना । पूरी प्रकृति ही जैसे समा गई इस रचना में ।