विहान आयेगा।
रात हो कितनी भी काली
खो चुकी दिवा की लाली
समय पर भानु का उदभव
रोकना उसको असंभव।।
हो कभी जो काल दुष्कर
बनना हो स्वयं धनुष्कर
विजय भी मिलेगी निश्चित
पुनः सब होगा अधिष्ठित।।
क्यों क्लांत बैठे हार कर
उठ भाव में आवेश भर
चमन उजड़ा कब रहेगा
हरित हो अंकुर खिलेगा।।
संग्राम है जीवन अगर
लड़ना ही होगा मगर
जीत तक लड़ते रहेंगे
क्यों पराजय की कहेंगे।।
मनुज कभी रुकता नहीं
बाधाओं से झुकता नहीं
कल नई फिर नींव धरकर
लायेगा खुशियाँ भरकर।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह,सुंदर सृजन। उम्मीद से भरी प्रेरणादायक कविता।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
सकारात्मक संदेश का संचार करती उत्कृष्ट रचना। आपको मेरी सादर शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी कविता को समर्थन मिला भाव सफल हुवे।
Deleteसस्नेह शुभकामनाएं।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 3020...अपना ऑक्सीजन सिलिंडर साथ लाइए!) पर गुरुवार 6 मई 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 3020...अपना ऑक्सीजन सिलिंडर साथ लाइए!) पर गुरुवार 6 मई 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका पांच लिंक पर रचना का आना सुखद है सदैव ।
Deleteमैं हाज़िर रहूंगी।
सादर।
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 07-05-2021) को
"विहान आयेगा"(चर्चा अंक-4058) पर होगी। चर्चा का
शीर्षक आपकी रचना से लिया गया है । चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी चर्चा पर रचना को लेने के लिए।
Deleteये सदा अगले सृजन के लिये प्रेरक होता है ।
मैं चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर सस्नेह।
इस बार रात बड़ी लंबी हो गई, ना जाने कब आएगा विहान.... धैर्य की परीक्षा हो रही है।
ReplyDeleteफिर भी,
संग्राम है जीवन अगर
लड़ना ही होगा मगर
जीत तक लड़ते रहेंगे
क्यों पराजय की कहेंगे।।
सकारात्मक संदेश, सुंदर रचना।
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपको उपस्थित देख मन प्रसन्न हुआ।
Deleteसच कहा आपने रात बहुत लम्बी हो गई इस बार।
पर मन कहता है कि जब चारों तरफ दावानल सा हो तो कुछ बूंदें कवि आशा और स्नेह की बरसाता चले दो पल को तो एक शीतल झोंका ठंडक दे ।
हर तरफ बहुत भय और निराशा है चलिए इस के बीच एक सुकून का पल जी लें लेखन के माध्यम से।
सस्नेह।
आदरणीया मैम, बहुत ही सुंदर प्रेरक कविता जो मन को आशा और उल्लास से भर देती है । कोरोना काल हम सब के लिए दुखद और कठिन है पर यह सद्य के लिए नहीं रहेगा, जल्दी ही चला जाएगा । हृदय से आभार इस आनंदित करती हुई सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही छोटी बहना आप ने सही कहा ये सदा के लिए नहीं रहेगा जो क्षति हो रही है हम उसकी पूर्ति तो नहीं कर सकते पर जीवन को पुनर्जीवित तो करना होगा।
Deleteसस्नेह।
आशा का संचार करती बहुत ही सुंदर रचना, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteरचना को समर्थन मिला लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।
एक नई चेतना जागृत करती हुई बहुत ही उम्दा रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मनीष जी,रचना के भावों पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया रचना को गतिमान कर रही है।
Deleteसादर।
प्रेरणादायक कविता
ReplyDeleteबहुत बहुत सा स्नेह आभार आपका।
Deleteब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
सस्नेह।
सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteअवश्य विहान आएगा !
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteविहान तो आयेगा यह विश्वास ही हर चुनौती के लिए दृढ़ता देता है आपकी आशावादी प्रतिक्रिया से रचना प्रवाहमान हुईं।
सादर सस्नेह।
मनुज कभी रुकता नहीं
Deleteबाधाओं से झुकता नहीं
कल नई फिर नींव धरकर
लायेगा खुशियाँ भरकर।।
मानव स्वभाव में उम्मीदों की राह देखना भी है। आशा पर संसार जीवित है। प्रेरक रचना।
सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संदीप जी , उत्साहवर्धन हुआ।
Deleteसादर।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजीवन की इन कठिन परिस्थितियों में प्रेरणा देती रचना....
ReplyDeleteक्यों क्लांत बैठे हार कर
उठ भाव में आवेश भर
चमन उजड़ा कब रहेगा
हरित हो अंकुर खिलेगा।।
बहुत बहुत आभार आपका विकास जी,आपके समर्थन देते शब्दों से रचना में नव गति संचार हुई ।
Deleteसादर ।
बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए ।
ReplyDeleteसादर।
बहुत अच्छी और आशा का संचार करती कविता
ReplyDeleteजी सादर आभार आपका उत्साहवर्धक, भावों को समर्थन देती सार्थक प्रतिक्रिया।
Deleteसादर
आशा का संचार करती खूबसूरत रचना।
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