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Saturday, 8 May 2021

माँ



माँ

जब भी कोई दुविधा आती

याद मुझे माँ की आये।


प्रथम पाठशाला जीवन की

नैतिकता का पाठ दिया।

सुसंस्कार भरकर जीवन में 

सुंदरता से गाठ लिया।

कंक्रीट राह पर चल पाएं

दुख में कभी न घबराये।।


वात्सल्य साथ में अनुशासन

सीख सदा हित की पाई।

हर गलती पर पास बिठाकर

प्यार भरी झिड़की खाई।

ऊंच नीच का भान कराती

घावों पर रखती फाये।।


अपने दुख का भान नही कभी

बच्चों का ही सुख देखा

कभी नही वो कष्ट दिखाती

न भाल चिंता की रेखा।

लिटा गोद में सिर सहलाती

थपकी दे लोरी गाये।।


कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'।

23 comments:

  1. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।

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  2. वाह अनुपम सृजन

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    1. बहुत बहुत आभार सखी।

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  3. माँ ! जिसका कोई पर्याय नहीं !!

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    1. सच में।
      बहुत बहुत आभार आपका।

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  4. बहुत बहुत सुन्दर

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  5. बहुत सुंदर रचना सखी 👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी।

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  6. आज तो मां के लिए दिल छलक गया प्रिय कुसुम बहन। मां हमेशा अपने दिए संस्कारों के रूप में सदैव हमारे भीतर। व्याप्त रहती है। भावपूर्ण रचना के लिए बधाई और शुभ कामनाएं 🙏💐💐🌷🌷

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    1. बहुत बहुत स्नेह आभार रेणु बहन।
      सही कहा आपने।
      आपकी व्याख्यात्मक टिप्पणी से रचना और भी मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  7. मां के द्वारा मिली हुई हर सीख हमें जीवनपर्यंत सहारा देती है, मां को समर्पित भावों भरी सुन्दर रचना ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी,सही कहा आपने,माँ जीवन की आधारशिला है।
      सस्नेह।

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  8. "जब भी कोई दुविधा आती
    याद मुझे माँ की आये।"

    "वात्सल्य साथ में अनुशासन
    सीख सदा हित की पाई।"
    ......

    ये माँ की कुछ पंक्तियाँ, मुझे प्रतिदिन याद आती है और बहुत सहयोग करती है। हमारे अंदर माँ का संस्कार का रोपन दिखाती यह रचना। बेहतरीन।

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    1. सार्थक सुंदर समर्थन देती पंक्तियाँ आपकी ।
      रत्ना के भावों को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार।
      सादर।

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  9. बहुत सुंदर रचना कुसुम जी,
    वात्सल्य साथ में अनुशासन

    सीख सदा हित की पाई।

    हर गलती पर पास बिठाकर

    प्यार भरी झिड़की खाई।

    ऊंच नीच का भान कराती

    घावों पर रखती फाये।।..वाह

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अलकनंदा जी ,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  10. माँ की महिमा अपरम्पार है । सारे शब्द कम पड़ जाते हैं जहाँ । अति सुन्दर भाव सृजन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अमृता जी।
      रचना पसंद आई लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  11. लाजवाब लेखन मैम

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    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रीती जी।
      ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
      सस्नेह।

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  12. लाजवाब लेखन मैम

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  13. बहुत बहुत आभार आपका।
    चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
    मैं उपस्थित रहूंगी चर्चा पर।

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