माँ
जब भी कोई दुविधा आती
याद मुझे माँ की आये।
प्रथम पाठशाला जीवन की
नैतिकता का पाठ दिया।
सुसंस्कार भरकर जीवन में
सुंदरता से गाठ लिया।
कंक्रीट राह पर चल पाएं
दुख में कभी न घबराये।।
वात्सल्य साथ में अनुशासन
सीख सदा हित की पाई।
हर गलती पर पास बिठाकर
प्यार भरी झिड़की खाई।
ऊंच नीच का भान कराती
घावों पर रखती फाये।।
अपने दुख का भान नही कभी
बच्चों का ही सुख देखा
कभी नही वो कष्ट दिखाती
न भाल चिंता की रेखा।
लिटा गोद में सिर सहलाती
थपकी दे लोरी गाये।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteवाह अनुपम सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी।
Deleteमाँ ! जिसका कोई पर्याय नहीं !!
ReplyDeleteसच में।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना सखी 👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी।
Deleteआज तो मां के लिए दिल छलक गया प्रिय कुसुम बहन। मां हमेशा अपने दिए संस्कारों के रूप में सदैव हमारे भीतर। व्याप्त रहती है। भावपूर्ण रचना के लिए बधाई और शुभ कामनाएं 🙏💐💐🌷🌷
ReplyDeleteबहुत बहुत स्नेह आभार रेणु बहन।
Deleteसही कहा आपने।
आपकी व्याख्यात्मक टिप्पणी से रचना और भी मुखरित हुई।
सस्नेह।
मां के द्वारा मिली हुई हर सीख हमें जीवनपर्यंत सहारा देती है, मां को समर्पित भावों भरी सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी,सही कहा आपने,माँ जीवन की आधारशिला है।
Deleteसस्नेह।
"जब भी कोई दुविधा आती
ReplyDeleteयाद मुझे माँ की आये।"
"वात्सल्य साथ में अनुशासन
सीख सदा हित की पाई।"
......
ये माँ की कुछ पंक्तियाँ, मुझे प्रतिदिन याद आती है और बहुत सहयोग करती है। हमारे अंदर माँ का संस्कार का रोपन दिखाती यह रचना। बेहतरीन।
सार्थक सुंदर समर्थन देती पंक्तियाँ आपकी ।
Deleteरत्ना के भावों को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार।
सादर।
बहुत सुंदर रचना कुसुम जी,
ReplyDeleteवात्सल्य साथ में अनुशासन
सीख सदा हित की पाई।
हर गलती पर पास बिठाकर
प्यार भरी झिड़की खाई।
ऊंच नीच का भान कराती
घावों पर रखती फाये।।..वाह
बहुत बहुत आभार आपका अलकनंदा जी ,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसस्नेह।
माँ की महिमा अपरम्पार है । सारे शब्द कम पड़ जाते हैं जहाँ । अति सुन्दर भाव सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अमृता जी।
Deleteरचना पसंद आई लेखन सार्थक हुआ।
सस्नेह।
लाजवाब लेखन मैम
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका प्रीती जी।
Deleteब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
सस्नेह।
लाजवाब लेखन मैम
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
ReplyDeleteचर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
मैं उपस्थित रहूंगी चर्चा पर।