विधा चौपाई छंद
१चंदन वन महके महके से
पाखी सौरभ में बहके से
लिपट व्याल बैठे हैं घातक
चाँद आस में व्याकुल चातक।।
२रजनी आई धीरे धीरे
इंदु निशा का दामन चीरे
नभ पर सुंदर तारक दल है
निहारिका झरती पल पल है।।
३निशि गंधा से हवा महकती
झिंगुर वाणी लगे चहकती
नाच रही उर्मिल उजियारी
खिली हुई है चंपा क्यारी ।।
४नवल मुकुल पादप पर झूमे
फूल फूल पर मधुकर घूमे।
कोयल बोल रही उपवन में
हरियाली छाई वन वन में ।।
५बागों में बहार मुस्काई
पुष्पों पर रंगत सी छाई।
सौरभ फैली हर इक कण में
भरलो झोली पावन क्षण में।
६शाख सुमन के हार पड़े हैं
माणिक मोती लाल जड़े हैं।
लो तितली आई मन भावन
फैले सुंदर दृश्य लुभावन।।
७विषय मोह में उलझा प्राणी
कौन मिलेगा शीतल त्राणी
गलत राह पर बढ़ता आता
उर से कभी न लालच जाता।।
८पतन राह का जो अनुरागी
तृष्णा की बस चाहत जागी
दहक रहा दावानल जैसा
शीतलता देता बस पैसा।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बागों में बहार मुस्काई
ReplyDeleteपुष्पों पर रंगत सी छाई।
सौरभ फैली हर इक कण में
भरलो झोली पावन क्षण में।
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति कुसुम जी ।
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपकी विशेष टिप्पणी रचना को प्रवाह देती है।
Deleteसस्नेह।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
Deleteसादर।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-03-2021 को चर्चा – 4,016 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
बहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर रचना का रखने के लिए।
Deleteसादर।
सुंदर काव्य सुमन सादर किया है ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
बहुत सुन्दर चौपाइयाँ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteआपकी सराहना से सचमुच लेखन सार्थक हुआ।
सादर।
असाधारण काव्य सृजन मुग्धता बिखेरती है - - साधुवाद सह।
ReplyDeleteमैं अभिभूत हूं आदरणीय, रचना पर आपकी विहंगम दृष्टि से
Deleteरचना गतिमान हुई ।
मन प्रसन्न हुआ।
सादर।
अनूठा व उम्दा काव्य
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका गगन जी ।
Deleteलेखन सार्थक हुआ।
सादर।
बेहद खूबसूरत सृजन सखी 👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी उत्साहवर्धन हुआ।
Deleteसस्नेह।
इन चौपाइयों में ऐसा लग रहा कि सारी प्रकृति को समेट लिया है ।
ReplyDelete२रजनी आई धीरे धीरे
इंदु निशा का दामन चीरे
नभ पर सुंदर तारक दल है
निहारिका झरती पल पल है।।
बहुत सुंदर लिखा है ।
आपकी विस्तृत, विशिष्ट टिप्पणी सदा मन उत्साह से भर देती है,।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
सादर सस्नेह।
क्या बात है .. सबसे पहले इस पावन क्षण को झोली में भर लिया फिर लुभावने दृश्यों में विचरण करते हुए मानव सत्य से सहमत भी हो लिया । अनूठा सृजन हेतु हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अमृता जी मेरे लेखन को सराहने के लिए।
Deleteआपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ,और मेरा उत्साह वर्धन हुआ।
सादर सस्नेह।
अत्यंत सुंदर कुसुम जी...नवल मुकुल पादप पर झूमे
ReplyDeleteफूल फूल पर मधुकर घूमे।
कोयल बोल रही उपवन में
हरियाली छाई वन वन में ।।...एक औश्र बात कि मैंने आपकी कुछ हाइकू रचनायें अपनी साइट के लिए ली थीं...कृपया देखें और बिना पूछे लेने के लिए क्षमा करें..ये रहा उसका लिंंक....सौ साल पुरानी काव्य शैली ताँका, जिसने हाइकू को जन्म दिया
http://legendnews.in/tanka-the-centennial-poetic-style-which-gave-birth-to-haiku/
बहुत बहुत आभार आपका अलकनंदा जी ये मेरे लिए प्रसन्नता का क्षण है।
ReplyDeleteक्षमा की कोई बात नहीं आपने यथोचित सम्मान से रचना मेरे ही नाम से प्रकाशित की है।
मैं सच अभिभूत हूं।
सादर सस्नेह।
वाह! बहुत सुंदर दी सराहना से परे।
ReplyDeleteसादर
बहुत खूबसूरत छंद ... चौपाई को बाखूबी लिखा है ...
ReplyDeleteबहुत बधाई हो ...