सतरंगी होली
नव बसंत नव मधुबन है
नया नया ऋतुराज।
नव अंकुर को आस जगी है
प्रस्फुटन की आज।।
नवल टेसू से पादप शोभित
सजने लगी रंग होली
चंग झनक चौपाल बजे
थिरके मिल हमजोली।
नव्य सुमन मुस्कान लिए
फुनगी चढ़ बल खाये
मधुप रसी रस ढूंढ रहे
भर-भर लेकर जाये।
नव गुलाल अबीर बसंती
धानी वसना हुई धरा
बहु रंगी शृंगार किए हैं
लता गुल्म नव ओज भरा।
केसर रंग छलका नभ से
भर-भर रखो कटोरी
गुलनारी सौरभ तो जैसे
ले उड़ी नवल चटोरी।
जा रही है फाग खेलने
नव युवको की टोली
शुभ्र वसन कुमकुमी छींटे
पाग बँधी है मोली।
आज नवेली उड़ी चले
हाथ लिए पिचकारी
अंग रंगे गुलाबी आभा
सतरंगी रंग रंगी सारी।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बहुत सुंदर और भावपूर्ण बसंत और फाग मुक्तक कुसुम बहन | बासंती मौसम के बीच फाग का आना अपने आप में विशिष्ट है | नव वधु की पहली होली के क्या कहने --
ReplyDeleteआज नवेली उड़ी चले
हाथ लिए पिचकारी
अंग रंगे गुलाबी आभा
सतरंगी रंग रंगी सारी।।//////
आपके काव्य कौशल को नमन करते हुए ढेरों शुभकामनाएं और बधाई |
ढेर सारा आभार रेणु बहन ,आपकी सुंदर व्याख्या रचना के भावों में केसर घोल रही है।
Deleteआपकी अतुल्य सराहना से मन आनंदित हो गया बहना ।
हमेशा ऐसे ही स्नेह बरसाते रहें।
सस्नेह।
इस कविता को पढ़ना एक प्रकार से होली खेलने के समान ही है । अभिनंदन कुसुम जी ।
ReplyDeleteअभिनंदन भाई जितेन्द्र जी,आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह और उर्जा मिली ।
Deleteसस्नेह आभार।
बहुत सुन्दर और सटीक रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय, उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसादर।
आज नवेली उड़ी चले
ReplyDeleteहाथ लिए पिचकारी
अंग रंगे गुलाबी आभा
सतरंगी रंग रंगी सारी।।
होली के रंग में रंगी रंगोली सी रचना,सादर नमन आपको कुसुम जी
आपकी मनभावन टिप्पणी से सृजन और भी रंगमय हुआ कामिनी जी।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
सस्नेह।
होली के सतरंगी रंगों में रंगी बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteमोहक प्रतिक्रिया, उत्साह वर्धक।
सस्नेह।
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
Deleteसादर।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19-03-2021 को चर्चा – 4,002 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
जी सादर आभार आपका चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं उपस्थित रहूंगी।
सादर।
वाह , प्रकृति और रंगों का बहुत खूब समावेश किया है ।
ReplyDeleteसुंदर रचना ।
बहुत बहुत आभार आपका, आपकी टिप्पणी से लेखन को सार्थकता मिली और मुझे नव ऊर्जा।
Deleteसादर सस्नेह।
वाह! बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteग़ुलाल के रंगो सा रंग बिखेरता।
सराहनीय सृजन।
सादर
बहुत बहुत आभार प्रिय बहना।
Deleteसस्नेह।
होली का हर रंग कविता को निखार गया, चाहे वो प्रकृति हो, चाहे पेड़,चाहे पुष्प,चाहे धरती आकाश या फिर ऋतुएँ या सबसे खूबसूरत छंद ..
ReplyDeleteआज नवेली उड़ी चले
हाथ लिए पिचकारी
अंग रंगे गुलाबी आभा
सतरंगी रंग रंगी सारी।।
...रंगों से सराबोर रचना के लिए हरदी शुभकामनाएँ ।
हरदी/हार्दिक
Deleteवाह जिज्ञासा जी आपकी मोहक प्रतिपंक्तियों ने रचना में जो रंग छूट गये वो भी भर दिए।
Deleteबस यूँ ही होली हो सतरंगी आपके और सभी परिवार जनों को।
सस्नेह सखी।
जबरदस्त, प्रकृति के संग रंग का संगम, अति उत्तम बधाई हो
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