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Thursday, 11 March 2021

प्राबल्य अगोचर



प्राबल्य अगोचर


सृष्टि निर्माण रहस्य भारी

अद्भुत दर्शन से संवाहित

रिक्त आधार अंतरिक्ष का

प्राबल्य अगोचर से वाहित।


सत्य शाश्वत शिव की सँरचना 

आलोकिक सी है गतिविधियाँ

छुपी हुई है हर इक कण में

अबूझ अनुपम अदीठ निधियाँ

ॐ निनाद में शून्य सनातन 

है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।। 


जड़ प्राण मन विज्ञान अविचल

उत्पति संहारक जड़ जंगम

अंतर्यामी कल्याणकार

प्रिय विष्णु महादेव संगम

अन्न जल फल वायु के दाता

रज रज उर्जा करे  प्रवाहित।।


आदिस्त्रोत काल महाकाल  

सर्व दृष्टा स्वरूपानंदा

रूद्र रूप तज सौम्य धरे तब

काटे भव बंधन का फंदा

ऋचाएं तव गाए दिशाएं

वंदन करें देव मनु माहित ।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'



21 comments:

  1. ऐसा लग रहा कि आपके शब्द ही महाकाल के दर्शन कराने में समर्थ हैं ।
    सुंदर प्रस्तुति ।

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    1. मैं निशब्द हूं आपकी टिप्पणी पर सच कहूं तो रचना आज सार्थक हुई ।
      सस्नेह आभार आपका।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शुक्रवार 12 मार्च 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

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    1. बहुत बहुत आभार आपका श्वेता।
      पाँच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सस्नेह।

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  3. छुपी हुई है हर इक कण में
    अबूज़ अनुपम अदीठ निधियाँ
    ॐ निनाद में शून्य सनातन
    है ब्रह्माण्ड भर समाहित ।।
    अद्वितीय और अनुपम सृजन कुसुम जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
      उत्साह और ऊर्जा दोनों बढ़ाती है आपकी प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

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  4. बहुतबहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
      सादर।

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  5. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१३-०३-२०२१) को 'क्या भूलूँ - क्या याद करूँ'(चर्चा अंक- ४००४) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  6. बहुत ही बेहतरीन रचना सखी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी ।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

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  7. आगम निगम पुरान सबै इतिहास सदा जिनके गुन गावें ।
    ऐसे कृपालु कृपामय देव के क्यों न शरण अबहीं चलि जावें ।।
    ..आपकी सुंदर रचना को हृदय से नमन है..

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
      आपकी सुंदर मोहक प्रतिपंक्तियां मन मोह गई, उत्साह वर्धन के लिए हृदय से आभार।
      सस्नेह।

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  8. शिवमयी अध्यात्मिकता से ओतप्रोत रचना कुसुम बहन | बिना अदृश्य ईशकृपा के , ऐसा सृजन संभव ही नहीं | आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई इस अनुपम रचना के लिए |

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    1. बहुत बहुत सा स्नेह आभार रेणु बहन आपका, आपकी टिप्पणी के भावों ने मेरी रचना को और मुंझे जो गहन भावभीना उपहार दिया है वो अमूल्य है मेरे लिए ।
      सस्नेह।

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  9. भक्तिभाव से ओतप्रोत बहुत सुंदर रचना,कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      सस्नेह

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  10. अद्भुत रचना मेरे देवो के देव महादेव की, जय शिव शंभु नमो नम: शिवाय, सादर नमन, बहुत बहुत बधाई हो आपको

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      सस्नेह।

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  11. बहुत बहुत आभार आपका।
    आपकी स्नेहिल प्रभु प्रेम में डूबी टिप्पणी से रचना को सार्थकता मिली ।
    सादर सस्नेह।

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