प्राबल्य अगोचर
सृष्टि निर्माण रहस्य भारी
अद्भुत दर्शन से संवाहित
रिक्त आधार अंतरिक्ष का
प्राबल्य अगोचर से वाहित।
सत्य शाश्वत शिव की सँरचना
आलोकिक सी है गतिविधियाँ
छुपी हुई है हर इक कण में
अबूझ अनुपम अदीठ निधियाँ
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।।
जड़ प्राण मन विज्ञान अविचल
उत्पति संहारक जड़ जंगम
अंतर्यामी कल्याणकार
प्रिय विष्णु महादेव संगम
अन्न जल फल वायु के दाता
रज रज उर्जा करे प्रवाहित।।
आदिस्त्रोत काल महाकाल
सर्व दृष्टा स्वरूपानंदा
रूद्र रूप तज सौम्य धरे तब
काटे भव बंधन का फंदा
ऋचाएं तव गाए दिशाएं
वंदन करें देव मनु माहित ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
ऐसा लग रहा कि आपके शब्द ही महाकाल के दर्शन कराने में समर्थ हैं ।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ।
मैं निशब्द हूं आपकी टिप्पणी पर सच कहूं तो रचना आज सार्थक हुई ।
Deleteसस्नेह आभार आपका।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शुक्रवार 12 मार्च 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
बहुत बहुत आभार आपका श्वेता।
Deleteपाँच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए।
मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सस्नेह।
छुपी हुई है हर इक कण में
ReplyDeleteअबूज़ अनुपम अदीठ निधियाँ
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रह्माण्ड भर समाहित ।।
अद्वितीय और अनुपम सृजन कुसुम जी ।
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
Deleteउत्साह और ऊर्जा दोनों बढ़ाती है आपकी प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
बहुतबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
Deleteसादर।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१३-०३-२०२१) को 'क्या भूलूँ - क्या याद करूँ'(चर्चा अंक- ४००४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
Deleteसादर सस्नेह।
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी ।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
आगम निगम पुरान सबै इतिहास सदा जिनके गुन गावें ।
ReplyDeleteऐसे कृपालु कृपामय देव के क्यों न शरण अबहीं चलि जावें ।।
..आपकी सुंदर रचना को हृदय से नमन है..
बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
Deleteआपकी सुंदर मोहक प्रतिपंक्तियां मन मोह गई, उत्साह वर्धन के लिए हृदय से आभार।
सस्नेह।
शिवमयी अध्यात्मिकता से ओतप्रोत रचना कुसुम बहन | बिना अदृश्य ईशकृपा के , ऐसा सृजन संभव ही नहीं | आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई इस अनुपम रचना के लिए |
ReplyDeleteबहुत बहुत सा स्नेह आभार रेणु बहन आपका, आपकी टिप्पणी के भावों ने मेरी रचना को और मुंझे जो गहन भावभीना उपहार दिया है वो अमूल्य है मेरे लिए ।
Deleteसस्नेह।
भक्तिभाव से ओतप्रोत बहुत सुंदर रचना,कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteसस्नेह
अद्भुत रचना मेरे देवो के देव महादेव की, जय शिव शंभु नमो नम: शिवाय, सादर नमन, बहुत बहुत बधाई हो आपको
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteसस्नेह।
बहुत बहुत आभार आपका।
ReplyDeleteआपकी स्नेहिल प्रभु प्रेम में डूबी टिप्पणी से रचना को सार्थकता मिली ।
सादर सस्नेह।