गीतिका (हिन्दी ग़ज़ल)
रूपसी
खन खनन कंगन खनकते, पांव पायल बोलती हैं।
झन झनन झांझर झनककर रस मधुर सा घोलती हैं।
सज चली श्रृंगार गोरी आज मंजुल रूप धर के।
ज्यों खिली सी धूप देखो शाख चढ़ कर डोलती है।
आँख में सागर समाया तेज चमके दामिनी सा।
रस मधुर से होंठ चुप है नैन से सब तोलती है।
चाँद जैसा आभ आनन केसरी सा गात सुंदर।
रक्त गालों पर घटा सी लट बिखर मधु मोलती है।
मुस्कुराती जब पुहुप सी दन्त पांते झिलमिलाई।
सीपियाँ जल बीच बैठी दृग पटल ज्यों खोलती है।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बहुत बहुत सराहनीय रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका लेखन को सार्थकता मिली। सादर।
Deleteवाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय गज़ल आदरणीय दी।
ReplyDeleteसादर
मेरी हिन्दी की पहली ग़ज़ल है प्रिय अनिता, पुरी मापनी के साथ।,आपका स्नेह मिला मन प्रसन्न हुआ।
Deleteसस्नेह आभार।
लाजवाब।
ReplyDeleteबहुत बहुत सा आभार शिवम् जी।
Deleteसादर।
हर छंद हर बंद अविरल है..
ReplyDeleteमनोहारी मनमोहिनी आपकी ये ग़ज़ल है..सादर..
आपको पसंद आई जिज्ञासा जी, लेखन सार्थक हुआ ।
Deleteमेरी पहली हिन्दी ग़ज़ल है कुछ कमी हो तो जरूर बताइएगा।
सस्नेह आभार।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 फरवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअहा! पम्मी जी आपको देख मन खुश हुआ, ग़ज़ल आपका पसंदीदा विषय है,और आपने मेरी पहली ही हिन्दी ग़ज़ल को पाँच लिंक पर शामिल किया बहुत बहुत सा स्नेह आभार।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर गीतिका। आपको शुभकामनाएँ और बधाई।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका रचना को प्रवाह और लेखन को उर्जा मिली ।
Deleteसादर।
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सादर।
अच्छी रचना...। बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रचना प्रवाहमान हुईं।
Deleteसादर।
वाह... सुंदर गीतिकाव्य
ReplyDeleteआनंद आ गया..
लेखन को सार्थकता देती प्रतिक्रिया वर्षा जी, बहुत बहुत सा स्नेह आभार।
Deleteसस्नेह।
अति सुन्दर लेखन..
ReplyDeleteअतुलनीय..
आपकी मनभावन टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ ।
Deleteढेर सा स्नेह आभार।
ब्लाग पर आपका सदा स्वागत है।
सस्नेह।
बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मनोज जी ।
Deleteरचना गतिमान हुई आपकी सौम्य प्रतिक्रिया से ।
सादर।
खूबसूरत गजल
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteनव सृजन को समर्थन देती सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।
सादर।
अत्यंत सुन्दर.. माधुर्य भाव लिए बहुत सुन्दर गीतिका ।
ReplyDeleteरचना के भावों को आपका समर्थन मिला मीना जी रचना सार्थक हुई।
Deleteआपका स्नेह सदा अमुल्य है मेरे लिए ।
सस्नेह।
बहुत सुंदर हिंदी में गजल!--ब्रजेंद्रनाथ
ReplyDeleteजी सर बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteरचना को सार्थकता देती सुंदर प्रतिक्रिया से लेखन को प्रवाह मिला ।
सादर।
चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार आदरणीय।
ReplyDeleteमैं उपस्थित रहूंगी।
सादर।