शर्वरी का सौंदर्य
चाँद झुकता शाख पर ज्यों
फूल का मुख चूमता सा
साथ में सपने सुहाने
विश्व सारा घूमता सा।।
राग छाया पात पल्लव
जागता अनुराग धानी
भीगती है ओस कण में
सिमटती है रात रानी
और मतवाला भ्रमर भी
आ गया है झूमता सा ।।
तारकों की ज्योति कोरी
रौप्य सी आकाश गंगा
नील अम्बर सैज सोई
क्षीर का पहने लहंगा
प्रीत हिंडोले लहर में
हिय कुसुम कुछ झूलता सा।।
शर्वरी कोमल सलौनी
बीतती ही जा रही है
आँख की बग्घी चढ़ी वो
नींद देखो आ रही है
झिंगुरी ताने सुनो सब
स्वर मधुर वो बोलता सा।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
शर्वरी =रात
शर्वरी =रात्रि
शर्वरी कोमल सलौनी
ReplyDeleteबीतती ही जा रही है
आँख की बग्घी चढ़ी वो
नींद देखो आ रही है
झिंगुरी ताने सुनो सब
स्वर मधुर वो बोलता सा।।
अनुपम सृजन...'आंख की बग्घी' अद्भुत...
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
सुंदर मोहक टिप्पणी सदा रचनाकार को आनंदित करती है ।
Deleteबहुत बहुत सा स्नेह वर्षा जी सदा स्नेह बनाए रखें।
सस्नेह आभार।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२०-०२-२०२१) को 'भोर ने उतारी कुहासे की शाल'(चर्चा अंक- ३९८३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी ।
Deleteचर्चा मंच पर रचना का आना सदा मेरे लिए आनंद का विषय है ।
सादर।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी ।
Deleteलाजवाब!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका विश्व मोहन जी।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
सादर।
बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteसदा आपका स्नेह मिलता रहे।
सादर।
शर्वरी कोमल सलौनी
ReplyDeleteबीतती ही जा रही है
आँख की बग्घी चढ़ी वो
नींद देखो आ रही है
बहुत ही सुंदर मनभावन रचना कुसुम जी,रात को शर्वरी भी कहते है ये आज जाना,आपका शब्द चयन अद्भुत होता है,सादर नमन आपको
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी,अच्छा लगा मेरे शब्द चयन पर आपकी विशेष प्रतिक्रिया से मुझे सुखद संतोष मिला। आप सभी पाठक वर्ग से ही लेखन निर्बाध गति से चल रहा है।
Deleteसदा स्नेह बनाए रखें।
सस्नेह।
मन भावन गीत । सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसदा स्वागत है ब्लाग पर आपका ।
सस्नेह।
सुन्दर... मनभावन रचना!
ReplyDelete'राग छाया पात पल्लव
ReplyDeleteजागता अनुराग धानी
भीगती है ओस कण में
सिमटती है रात रानी
और मतवाला भ्रमर भी
आ गया है झूमता सा'
-बहुत, बहुत...बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति आ.कुसुम जी! बधाई स्वीकारें इस सुमधुर रचना के लिए!
मैं अभिभूत हूं!
Deleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई और लेखनी को नव उर्जा मिली ।
सादर।
शर्वरी कोमल सलौनी
ReplyDeleteबीतती ही जा रही है
आँख की बग्घी चढ़ी वो
नींद देखो आ रही है
झिंगुरी ताने सुनो सब
स्वर मधुर वो बोलता सा।,,,,,,,,,, बहुत सुंदर रचना, आदरणीया शुभकामनाएँ ।
,,,
बहुत बहुत आभार आपका आपकी सक्रिय सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को नये मापदंड मिले।
Deleteसुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
सस्नेह।
ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
जादू भरी रात का सौन्दर्य छलक रहा है सृजन से । बेहतरीन और बस बेहतरीन...,
ReplyDeleteमीना जी सस्नेह आभार! आपकी सार्थक टिप्पणी सदा मेरे लिए नई उर्जा का संचार है।
Deleteढेर सारा स्नेह।
सस्नेह आभार।
आपके इस गीत को पढ़कर मनोमस्तिष्क पर एक सम्मोहन-सा छा गया है कुसुम जी ।
ReplyDeleteशुक्रिया माथुर साहब, उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया आपकी रचना को मुखरित करती सी।
Deleteसादर।
बहुत बहुत सुंदर सराहनीय
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
Deleteसादर।
सुंदर मनोहारी दृश्यों के सौंदर्य को निरूपित करती मनभावन कृति..सुमधुर गीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ एवं नमन..
ReplyDeleteआपकी स्नेहिल साहित्यिक टिप्पणी से रचना नव उर्जावान हुई सखी जी ।
Deleteसस्नेह आभार।
बहुत सुंदर कृति है। सार्थक और मनभावन रचना के लिए आपको बधाई।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करती विशेष प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला
Deleteसादर आभार आपका।
बेहतरीन रचना,हर शब्द लुभावने
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Deleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteब्लाग पर सदा आपका स्वागत है।
सस्नेह।
जी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
ReplyDeleteसादर।
ReplyDeleteशर्वरी कोमल सलौनी
बीतती ही जा रही है
आँख की बग्घी चढ़ी वो
नींद देखो आ रही है
झिंगुरी ताने सुनो सब
स्वर मधुर वो बोलता सा।।
बहुत ही सुंदर रचना , प्रभावशाली शब्दों से गुथी हुई बधाई हो आपको नमन
भव में अति सुन्दर भाव-विभाव उभर आया है
ReplyDeleteज्यों कवित्व का सुंदर पलना सबको झुलाया है ।
अति सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।