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Wednesday, 10 February 2021

चितेरी आत्मा


चितेरी आत्मा

मन पुलका है ये दृश्य देख
आनंद उमड़ा है रेख रेख।

हे पीत वरण पाखी सुन रे
तू बैठा है जिस डाली पे
वो नेह वात में ड़ोल रही
वीणा सी झंकृत बोल रही।।

मन पुलका.....

तू मधु सुरों की सरगम गा
होठों में सुंदर गीत सजा
देख रहा किस ओर सखे
टुकुर टुकुर प्रभात लखे।।

मन पुलका....

तेरी प्यारी कोमल काया 
ये जगत भरम की माया 
बच कर रहना अहेरी से
औ नेह लगाना चितेरी से।।

मन पुलका...

कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'।

 

27 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज गुरुवार 11 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय मुखरित मौन पर ररना को शामिल करने के लिए।
      मैं मंच पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  2. बहुत सुंदर रचना,कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।

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  3. बहुत ही खूबसूरत रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  4. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धन करते उद्गार।

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  5. बहुत अच्छी रचना, साधुवाद 🙏

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    1. बहुत बहुत स्नेह आभार स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए।
      सस्नेह।

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  6. आदरणीया, क्षमायाचना सहित निवेदन करना चाहूंगी कि प्रथम पंक्ति में "मन पुल्का है ये दृश्य देख" बाद में दोहराव के समय "मन फुल्का" हो गया है। सम्भवतः टंकण त्रुटिवश ....
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. वर्षा जी बहुत बहुत आभार आपका ।
      न जाने आजकल कैसे सेटिंग बदल जाती है पोस्ट के समय और कई बार पुरी रचना में ही गजब हेर फेर हो जाती है।
      मैंने वापस ध्यान भी नहीं दिया अभी आपकी टिप्पणी से ध्यान गया तो देखा और भी उलट फेर हैं।
      खैर बहुत बहुत आभार आपका सदा ही यूं ही सहयोग बनाते रखें।
      ढेर सा सरनेम आभार।

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    2. सरनेम को स्नेह आभार पढ़ें कृपया।

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    3. आप क्षमा याचना मत कहिए ये तो मेरे लिए सुंदर सखत्व की अनुभूति है ,अपनेपन की और ये तो एक अच्छे साहित्यकार की पहचान है ।
      सरनेम अभिवादन।

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    4. सुस्वागतम् आदरणीया !
      मेरे प्रति आपका स्नेह इसी तरह सदैव बना रहे, ईश्वर से यही कामना है।
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  7. मन को छूती सुन्दर रचना..

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  8. अति मनमोहक रचना दी।
    सुंदर शब्दावली और सार्थक मनोभावों से गूँथी हुई।
    सादर।

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    1. ढेर सारा स्नेह प्रिय बहना ।
      आपकी प्रतिक्रिया से मन पुलकित हुआ।
      सस्नेह।

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  9. शानदार सृजन..

    सादर प्रणाम..

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    1. सदा खुश रहिए ।
      स्नेह आभार आपका।

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  10. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
    चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
    मैं चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
    सादर।

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  11. बहुत बहुत आभार आपका रचना सार्थक हुई ।
    सादर।

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  12. बेहतरीन रचना

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  13. बेहतरीन कविता |हार्दिक आभार

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  14. सुंदर और सार्थक सृजन के लिए ढेर सारी शुभकामनायें। सादर




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  15. बहुत सुन्दर रचना है ... नव गीत और नव आधार का सृजन ...

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  16. बहुत ही प्यारी और सुंदर रचना, ढेरों बधाई हो

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