चितेरी आत्मा
मन पुलका है ये दृश्य देख
आनंद उमड़ा है रेख रेख।
हे पीत वरण पाखी सुन रे
तू बैठा है जिस डाली पे
वो नेह वात में ड़ोल रही
वीणा सी झंकृत बोल रही।।
मन पुलका.....
तू मधु सुरों की सरगम गा
होठों में सुंदर गीत सजा
देख रहा किस ओर सखे
टुकुर टुकुर प्रभात लखे।।
मन पुलका....
तेरी प्यारी कोमल काया
ये जगत भरम की माया
बच कर रहना अहेरी से
औ नेह लगाना चितेरी से।।
मन पुलका...
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 11 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय मुखरित मौन पर ररना को शामिल करने के लिए।
Deleteमैं मंच पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बहुत सुंदर रचना,कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteबहुत ही खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धन हुआ।
सादर।
बहुत सुन्दर गीत।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धन करते उद्गार।
बहुत अच्छी रचना, साधुवाद 🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत स्नेह आभार स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए।
Deleteसस्नेह।
आदरणीया, क्षमायाचना सहित निवेदन करना चाहूंगी कि प्रथम पंक्ति में "मन पुल्का है ये दृश्य देख" बाद में दोहराव के समय "मन फुल्का" हो गया है। सम्भवतः टंकण त्रुटिवश ....
ReplyDeleteसादर,
डॉ. वर्षा सिंह
वर्षा जी बहुत बहुत आभार आपका ।
Deleteन जाने आजकल कैसे सेटिंग बदल जाती है पोस्ट के समय और कई बार पुरी रचना में ही गजब हेर फेर हो जाती है।
मैंने वापस ध्यान भी नहीं दिया अभी आपकी टिप्पणी से ध्यान गया तो देखा और भी उलट फेर हैं।
खैर बहुत बहुत आभार आपका सदा ही यूं ही सहयोग बनाते रखें।
ढेर सा सरनेम आभार।
Deleteसरनेम को स्नेह आभार पढ़ें कृपया।
आप क्षमा याचना मत कहिए ये तो मेरे लिए सुंदर सखत्व की अनुभूति है ,अपनेपन की और ये तो एक अच्छे साहित्यकार की पहचान है ।
Deleteसरनेम अभिवादन।
सुस्वागतम् आदरणीया !
Deleteमेरे प्रति आपका स्नेह इसी तरह सदैव बना रहे, ईश्वर से यही कामना है।
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
मन को छूती सुन्दर रचना..
ReplyDeleteअति मनमोहक रचना दी।
ReplyDeleteसुंदर शब्दावली और सार्थक मनोभावों से गूँथी हुई।
सादर।
ढेर सारा स्नेह प्रिय बहना ।
Deleteआपकी प्रतिक्रिया से मन पुलकित हुआ।
सस्नेह।
शानदार सृजन..
ReplyDeleteसादर प्रणाम..
सदा खुश रहिए ।
Deleteस्नेह आभार आपका।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
ReplyDeleteचर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
मैं चर्चा पर अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बहुत बहुत आभार आपका रचना सार्थक हुई ।
ReplyDeleteसादर।
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबेहतरीन कविता |हार्दिक आभार
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक सृजन के लिए ढेर सारी शुभकामनायें। सादर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है ... नव गीत और नव आधार का सृजन ...
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी और सुंदर रचना, ढेरों बधाई हो
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