दुल्हन के मनोभाव
मेघ ने छेड़ा मधुर स्वर
झांझरें झनकी मलय में
बूँद बरसी चाव से तब
पाँव थिरके फिर निलय में।
फिर विदा हो एक दुल्हन
व्योम को निज हाथ में धर
रोम में पुलकन मचलती
लो चली नयना सपन भर
प्रीत की रचती हथेली
गूँज शहनाई हृदय में।।
पाँव रखती धैर्य से वो
साँस अटकी जा रही है
और आँखे द्वार देखे
कामना बल खा रही है
मुंह की आभा अनोखी
केशरी ज्यों रंग पय में ।।
नव जगत की आस ले मन
हर्ष डर मिल भाव डोले
झील जैसे दृग भरे से
होंठ चुप है साज बोले
लाड़ली आशीष तुम को
सूर्य आयेगा उदय में।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'
भावपूर्ण सृजन आदरणीया कुसुम जी। एक दुल्हन के नाजुक मनोभाव और कल्पनाओं की नई उड़ान को बेहतर तरीके से उकेरा है आपने...
ReplyDeleteमेघ ने छेड़ा मधुर स्वर
झांझरें झनकी मलय में
बूँद बरसी चाव से तब
पाँव थिरके फिर निलय में...
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।।।।।
बहुत बहुत आभार आपका पुरुषोत्तम जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से सृजन और भी मुखरित हुआ।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआभार आपका आदरणीय,रचना सार्थक हुई।
Deleteसादर।
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका उर्जा देती प्रतिक्रिया।
Deleteसादर।
बहुत ही सुंदर सृजन मन को छू गया।
ReplyDeleteसादर
ढेर सारा स्नेह आभार प्रिय बहना।
Deleteसस्नेह।
दुल्हन के भावों को बखूबी उकेरा है ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संगीता जी रचना के भावों पर आपकी सराहना मिली ,सदा स्नेह बनाए रखें।
Deleteसस्नेह।
सील को छूती बहुत ही सुंदर रचना,कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन आपकी प्रतिक्रिया से रचना प्रवाहमान हुईं।
Deleteसस्नेह।
कोमल भावनाओं से ओतप्रोत बहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteसस्नेह आभार शरद जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ ।
Deleteढेर सा स्नेह।
दुल्हन के मनोभाव के बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुंदर सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को नव गति मिली ।
Deleteसादर आभार आपका।
ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
सादर।
वाह ! कुसुम जी क्या सुन्दर लिखा आपने.. मैं तो पढ़ते वक्त गाने लगी ..ऐसा मधुर गीत नई नवेली दुल्हन के लिए..सुंदर मनोभाव..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी, मन प्रफुल्लित हुआ आपकी मनभावन टिप्पणी से,गीत पढ़कर गाने की इच्छा हो तो समझो लिखना सार्थक हुआ।
Deleteढेर सा आभार सस्नेह।
बहुत सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
सादर।
बहुत बहुत आभार आपका।
ReplyDeleteपाँच लिंक पर रचना को शामिल करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया।
मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर।
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी चर्चा में रचना को शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteमैं मंच पर जरूर भ्रमण करूंगी।
सादर सस्नेह।
बहुत ही खूबसूरत रचना, बधाई हो आपको
ReplyDelete