Friday, 19 February 2021

शर्वरी का सौंदर्य


 शर्वरी का सौंदर्य


चाँद झुकता शाख पर ज्यों 

फूल का मुख चूमता सा 

साथ में सपने सुहाने 

विश्व सारा घूमता सा।। 


राग छाया पात पल्लव 

जागता अनुराग धानी 

भीगती है ओस कण में 

सिमटती है रात रानी 

और मतवाला भ्रमर भी 

आ गया है झूमता सा ।।


तारकों की ज्योति कोरी 

रौप्य सी आकाश गंगा 

नील अम्बर सैज सोई 

क्षीर का पहने लहंगा 

प्रीत हिंडोले लहर में 

हिय कुसुम कुछ झूलता सा।। 


शर्वरी कोमल सलौनी 

बीतती ही जा रही है 

आँख की बग्घी चढ़ी वो 

नींद देखो आ रही है 

झिंगुरी ताने सुनो सब 

स्वर मधुर वो बोलता सा।। 


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

शर्वरी =रात


शर्वरी =रात्रि

35 comments:

  1. शर्वरी कोमल सलौनी
    बीतती ही जा रही है
    आँख की बग्घी चढ़ी वो
    नींद देखो आ रही है
    झिंगुरी ताने सुनो सब
    स्वर मधुर वो बोलता सा।।

    अनुपम सृजन...'आंख की बग्घी' अद्भुत...

    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. सुंदर मोहक टिप्पणी सदा रचनाकार को आनंदित करती है ।
      बहुत बहुत सा स्नेह वर्षा जी सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह आभार।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२०-०२-२०२१) को 'भोर ने उतारी कुहासे की शाल'(चर्चा अंक- ३९८३) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी ।
      चर्चा मंच पर रचना का आना सदा मेरे लिए आनंद का विषय है ।
      सादर।

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी ।

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  4. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका विश्व मोहन जी।
      उत्साहवर्धन हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
      सादर।

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      सदा आपका स्नेह मिलता रहे।
      सादर।

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  6. शर्वरी कोमल सलौनी

    बीतती ही जा रही है

    आँख की बग्घी चढ़ी वो

    नींद देखो आ रही है

    बहुत ही सुंदर मनभावन रचना कुसुम जी,रात को शर्वरी भी कहते है ये आज जाना,आपका शब्द चयन अद्भुत होता है,सादर नमन आपको

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी,अच्छा लगा मेरे शब्द चयन पर आपकी विशेष प्रतिक्रिया से मुझे सुखद संतोष मिला। आप सभी पाठक वर्ग से ही लेखन निर्बाध गति से चल रहा है।
      सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह।

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  7. मन भावन गीत । सुंदर प्रस्तुति

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      सदा स्वागत है ब्लाग पर आपका ।
      सस्नेह।

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  8. सुन्दर... मनभावन रचना!

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  9. 'राग छाया पात पल्लव
    जागता अनुराग धानी
    भीगती है ओस कण में
    सिमटती है रात रानी
    और मतवाला भ्रमर भी
    आ गया है झूमता सा'
    -बहुत, बहुत...बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति आ.कुसुम जी! बधाई स्वीकारें इस सुमधुर रचना के लिए!

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    1. मैं अभिभूत हूं!
      बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई और लेखनी को नव उर्जा मिली ।
      सादर।

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  10. शर्वरी कोमल सलौनी

    बीतती ही जा रही है

    आँख की बग्घी चढ़ी वो

    नींद देखो आ रही है

    झिंगुरी ताने सुनो सब

    स्वर मधुर वो बोलता सा।,,,,,,,,,, बहुत सुंदर रचना, आदरणीया शुभकामनाएँ ।
    ,,,

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आपकी सक्रिय सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को नये मापदंड मिले।
      सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।
      ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।

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  11. जादू भरी रात का सौन्दर्य छलक रहा है सृजन से । बेहतरीन और बस बेहतरीन...,

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    1. मीना जी सस्नेह आभार! आपकी सार्थक टिप्पणी सदा मेरे लिए नई उर्जा का संचार है।
      ढेर सारा स्नेह।
      सस्नेह आभार।

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  12. आपके इस गीत को पढ़कर मनोमस्तिष्क पर एक सम्मोहन-सा छा गया है कुसुम जी ।

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    1. शुक्रिया माथुर साहब, उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया आपकी रचना को मुखरित करती सी।
      सादर।

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  13. बहुत बहुत सुंदर सराहनीय

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  14. सुंदर मनोहारी दृश्यों के सौंदर्य को निरूपित करती मनभावन कृति..सुमधुर गीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ एवं नमन..

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    1. आपकी स्नेहिल साहित्यिक टिप्पणी से रचना नव उर्जावान हुई सखी जी ।
      सस्नेह आभार।

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  15. बहुत सुंदर कृति है। सार्थक और मनभावन रचना के लिए आपको बधाई।

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    1. उत्साहवर्धन करती विशेष प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला
      सादर आभार आपका।

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  16. बेहतरीन रचना,हर शब्द लुभावने

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      ब्लाग पर सदा आपका स्वागत है।
      सस्नेह।

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  17. जी बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
    सादर।

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  18. शर्वरी कोमल सलौनी

    बीतती ही जा रही है

    आँख की बग्घी चढ़ी वो

    नींद देखो आ रही है

    झिंगुरी ताने सुनो सब

    स्वर मधुर वो बोलता सा।।
    बहुत ही सुंदर रचना , प्रभावशाली शब्दों से गुथी हुई बधाई हो आपको नमन

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  19. भव में अति सुन्दर भाव-विभाव उभर आया है
    ज्यों कवित्व का सुंदर पलना सबको झुलाया है ।
    अति सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।

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