Monday, 1 February 2021

रूपसी


 गीतिका (हिन्दी ग़ज़ल)


रूपसी


खन खनन कंगन खनकते, पांव पायल बोलती हैं।

झन झनन झांझर झनककर रस मधुर सा घोलती हैं।


सज चली श्रृंगार गोरी आज मंजुल रूप धर के।

ज्यों खिली सी धूप देखो शाख चढ़ कर डोलती है।


आँख में सागर समाया तेज चमके दामिनी सा।

रस मधुर से होंठ चुप है नैन से सब तोलती है।


चाँद जैसा आभ आनन केसरी सा गात सुंदर।

रक्त गालों पर घटा सी लट बिखर मधु मोलती है।


मुस्कुराती जब पुहुप सी दन्त पांते झिलमिलाई।

सीपियाँ जल बीच बैठी दृग पटल ज्यों खोलती है।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

29 comments:

  1. बहुत बहुत सराहनीय रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लेखन को सार्थकता मिली। सादर।

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  2. वाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय गज़ल आदरणीय दी।
    सादर

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    1. मेरी हिन्दी की पहली ग़ज़ल है प्रिय अनिता, पुरी मापनी के साथ।,आपका स्नेह मिला मन प्रसन्न हुआ।
      सस्नेह आभार।

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    1. बहुत बहुत सा आभार शिवम् जी।
      सादर।

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  4. हर छंद हर बंद अविरल है..
    मनोहारी मनमोहिनी आपकी ये ग़ज़ल है..सादर..

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    1. आपको पसंद आई जिज्ञासा जी, लेखन सार्थक हुआ ।
      मेरी पहली हिन्दी ग़ज़ल है कुछ कमी हो तो जरूर बताइएगा।
      सस्नेह आभार।

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 फरवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. अहा! पम्मी जी आपको देख मन खुश हुआ, ग़ज़ल आपका पसंदीदा विषय है,और आपने मेरी पहली ही हिन्दी ग़ज़ल को पाँच लिंक पर शामिल किया बहुत बहुत सा स्नेह आभार।
      सादर।

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  6. बहुत सुंदर गीतिका। आपको शुभकामनाएँ और बधाई।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका रचना को प्रवाह और लेखन को उर्जा मिली ।
      सादर।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  8. अच्छी रचना...। बधाई

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    1. बहुत बहुत आभार आपका रचना प्रवाहमान हुईं।
      सादर।

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  9. वाह... सुंदर गीतिकाव्य

    आनंद आ गया..

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    1. लेखन को सार्थकता देती प्रतिक्रिया वर्षा जी, बहुत बहुत सा स्नेह आभार।
      सस्नेह।

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  10. अति सुन्दर लेखन..
    अतुलनीय..

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    1. आपकी मनभावन टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ ।
      ढेर सा स्नेह आभार।
      ब्लाग पर आपका सदा स्वागत है।
      सस्नेह।

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  11. बहुत ही सुंदर सृजन।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मनोज जी ।
      रचना गतिमान हुई आपकी सौम्य प्रतिक्रिया से ।
      सादर।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      नव सृजन को समर्थन देती सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।
      सादर।

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  13. अत्यंत सुन्दर.. माधुर्य भाव लिए बहुत सुन्दर गीतिका ।

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    1. रचना के भावों को आपका समर्थन मिला मीना जी रचना सार्थक हुई।
      आपका स्नेह सदा अमुल्य है मेरे लिए ।
      सस्नेह।

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  14. बहुत सुंदर हिंदी में गजल!--ब्रजेंद्रनाथ

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    1. जी सर बहुत बहुत आभार आपका।
      रचना को सार्थकता देती सुंदर प्रतिक्रिया से लेखन को प्रवाह मिला ।
      सादर।

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  15. चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार आदरणीय।
    मैं उपस्थित रहूंगी।
    सादर।

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