Friday, 5 February 2021

स्वागत करो नव बसंत को


 स्वागत करो नव बसंत को


स्वागत करो नव बसंत को

गावो मंगल गान सखी।


आवो सखी आई बहार बसंत 

चहूँ ओर नव पल्लव फूले 

कलियां चटकी 

मौसम में मधुमास सखी।


तन बसंती मन बसंती  

और बसंती बयार 

धानी चुनरओढ़ के 

धरा का पुलकित गात सखी।

   

नई दुल्हन को जैसे 

पिया मिलन की आस 

पादप अंग फूले मकरंद  

मुकुंद भी भरमाऐ सखी। 


स्वागत करो नव बसंत को

गावो मंगल गान सखी।


            कुसुम कोठारी  'प्रज्ञा'

18 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार आपका शिवम् जी।
      उत्साहवर्धन हुआ।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मैं अभिभूत हूं मेरी पंक्तियों को सम्मान देने के लिए।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  3. तन बसंती मन बसंती
    और बसंती बयार
    धानी चुनरओढ़ के
    धरा का पुलकित गात सखी।

    बहुत सुंदर, बहुत मधुर वासंती रचना कुसुम जी 🌹🙏🌹

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    1. मन आनंदित हुआ शरद जी बहुत मनभावन प्रतिक्रिया आपकी।
      सस्नेह आभार आपका।

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  4. वाह!खूबसूरत सृजन कुसुम जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका शुभा जी।
      स्नेहिल प्रतिक्रिया।

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  5. नई दुल्हन को जैसे

    पिया मिलन की आस

    पादप अंग फूले मकरंद

    मुकुंद भी भरमाऐ सखी।

    वाह !! बसंत का अति मनमोहक चित्रण ,सादर नमन कुसुम जी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी।
      आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

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  6. बहुत सुंदर सृजन,कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      सस्नेह।

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  7. अंतस पर बासंती थाप के संग मौसम के भी अधरों पर यही गान है । अति सुन्दर ।

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    1. मुग्ध करते उद्गार अमृता जी मन पुलकित हो गया।
      सस्नेह आभार आपका।

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  8. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी ।
      सादर।

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  9. बसंत का स्वागत करती सुन्दर रचना के लिए आपको शुभकामनाएँ। सादर।

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  10. आभार आदरणीय, सुंदर शुभकामनाओं से मन हर्षित हुआ।
    सादर।

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