क्लांत पथिक
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे ।
लहर चंचल आस घायल
किस विध पार उतारे।
अर्क नील कुँड से निकला
पंख विहग नभ खोले
मीन विचलित जोगिणी सी
तृषित सिंधु में डोले।
क्या उस घर लेकर जाए
भ्रमित घुमी घट खारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे।।
डाँग डगमग चाल मंथर
घटा मेघ मंडित है।
हृदय बीन जरजर टूटी
साज सभी खंडित है ।
श्रृंग दुर्गम राह रोके
साथ न कोई सहारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे।।
खंडित बीणा स्वर टूटा
राग सरस कब गाया
भांड मृदा भरभर काया
ठेस लगे बिखराया ।
मूक हो गया मन सागर
शब्द लुप्त है सारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे।।
कुसुम कोठारी।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे ।
लहर चंचल आस घायल
किस विध पार उतारे।
अर्क नील कुँड से निकला
पंख विहग नभ खोले
मीन विचलित जोगिणी सी
तृषित सिंधु में डोले।
क्या उस घर लेकर जाए
भ्रमित घुमी घट खारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे।।
डाँग डगमग चाल मंथर
घटा मेघ मंडित है।
हृदय बीन जरजर टूटी
साज सभी खंडित है ।
श्रृंग दुर्गम राह रोके
साथ न कोई सहारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे।।
खंडित बीणा स्वर टूटा
राग सरस कब गाया
भांड मृदा भरभर काया
ठेस लगे बिखराया ।
मूक हो गया मन सागर
शब्द लुप्त है सारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे।।
कुसुम कोठारी।
वाह आदरणीया दीदी जी बेहद उम्दा। आपकी पंक्तियाँ,आपकी कलम सदा आश्चर्य में डालती है।
ReplyDeleteसादर प्रणाम 🙏 आपको और निःशब्द करती इस रचना को।
बहुत बहुत आभार आपका आंचल ।
Deleteआपकी टिप्पणी सदा उत्साहवर्धन करती है।
सस्नेह।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 27 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteमैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (27-03-2020) को नियमों को निभाओगे कब ( चर्चाअंक - 3653) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
आँचल पाण्डेय
बहुत बहुत आभार चर्चा मंच पर प्रस्तुति सदा उत्साहवर्धन करती है ।
Deleteमैं अवश्य उपस्थित रहूंगी।
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteमूक हो गया मन सागर
ReplyDeleteशब्द लुप्त है सारे।
क्लांत हो कर पथिक बैठा
नाव खड़ी मझधारे
बहुत सुंदर सृजन कुसुम जी ,सादर नमन आपको
जी बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी सुंदर सार्थक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Deleteवाह!कुसुम जी ,बहुत सुंदर !👌👌
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार शुभा जी।
Deleteवाह! नि:शब्द!!!
ReplyDeleteसादर आभार आपका रचना को सार्थकता मिली आपके उत्साहवर्धन से ।
Deleteजी सादर आभार आपका।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
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