यूंही झुकते नही आसमां
कदमों में
किसी के,
खुद को दबाना होता है
बार बार मिट्टी में,
बीज बन जो मिटते हैं
औरों के लिए,
वही नव अंकुरित होते है,
लहराते है फसलों से,
झुकता है अंबर भी
उन के पाँवों मे खुशी से।
शानदार नीतिपरक संदेश दिया आपने आदरणीया दीदी। प्रभावी बिंब और प्रतीक रचना को सारगर्भित बना रहे हैं। संदेशपरक रचना को अधिक शब्दों की दरकार नहीं होती है। बधाई एवं शुभकामनाएं। लिखते रहिए।
जी नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-11-2019) को "यूं ही झुकते नहीं आसमान" (चर्चा अंक- 3506) " पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं….
शानदार नीतिपरक संदेश दिया आपने आदरणीया दीदी।
ReplyDeleteप्रभावी बिंब और प्रतीक रचना को सारगर्भित बना रहे हैं। संदेशपरक रचना को अधिक शब्दों की दरकार नहीं होती है।
बधाई एवं शुभकामनाएं।
लिखते रहिए।
एक ही एक प्रकार की रचनाएं पढ़ पढ़ के बोर होने के बाद एक अच्छी प्रेरणादायक रचना पढ़ने को मिली तो सुकून मिला...
ReplyDeleteशुभकामनाएं
मशीन ने लिखा पधारें 🙏
वाह ...!!! बहुत ही खूबसूरत रचना लिखी आपने.. कितनी सारे अर्थ छुपे हैं आपकी इन पंक्तियों में ऐसे ही हमेशा लिखती रहा कीजिए धन्यवाद
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 31 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रेरक सृजन प्रिय कुसुम बहन | अनेक अर्थों को थोड़े शब्दों में समेटती रचना के हार्दिक शुभकामनायें |
ReplyDeleteवाह दी सार्थक एवं प्रेरक संदेशात्मक पंक्तियाँ।
ReplyDeleteप्रेरणादायक रचना।
ReplyDeleteबहुत सच आशा और उम्मीद लिए रचना .।.
ReplyDeleteसही है की जो सब कुछ दे देता है ख़ुद को मिटा कर .. उसी के चरणों में आसमाँ शीश नवाता है ...
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-11-2019) को "यूं ही झुकते नहीं आसमान" (चर्चा अंक- 3506) " पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं….
-अनीता लागुरी 'अनु'
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कल्याणकारी संदेश !
ReplyDeleteबहुत सार्थक और नीतिपरक संदेश से सजी अनुपम रचना ।
ReplyDeleteजीवन की सच्ची सीख देती लाजबाब सृजन ,सादर नमन कुसुम जी
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteछोटी सी कविता में इतना बडा सार..!!!
बहुत ही सार्थक सारगर्भित लाजवाब रचना।
सच कुसुम जीजी, यूं ही नहीं झुकते आसमान....धरती जैसा धैर्य विशाल हृदय चाहिए ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सार्थक पंक्तियां सखी
ReplyDeleteवाह! वाह! क्या बात है । कम शब्द में छिपे गूढ़ भाव ।
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