अवनि से अंबर तक दे सुनाई
मौसम का रुनझुन संगीत
दिवाकर के उदित होने का
दसों दिशाऐं गाये मधुर गीत।
कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
खिल खिल जाय बंद कली
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।
धरा नव रंगों का पहने चीर
फूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।
सैकत नम है ओस कणों से
पत्तों से झर झरते मोती
मंदिर शीश कंगूरे चमके,बोले
पावन बेला क्यों खोती।
कुसुम कोठारी।
मौसम का रुनझुन संगीत
दिवाकर के उदित होने का
दसों दिशाऐं गाये मधुर गीत।
कैसी ऋतु बौराई मन बौराया
खिल खिल जाय बंद कली
कह दो उड़-उड़ आसमानों से
रुत सुहानी आई मनभाई भली।
धरा नव रंगों का पहने चीर
फूलों में रंगत मनभावन
सजे रश्मि सुनहरी द्रुम दल
पाखी करे कलरव,मुग्ध पवन ।
सैकत नम है ओस कणों से
पत्तों से झर झरते मोती
मंदिर शीश कंगूरे चमके,बोले
पावन बेला क्यों खोती।
कुसुम कोठारी।
बहुत सुंदर भावों से सजा है सखी आपका यह स्वागत गीत 👌👌
ReplyDeleteआपकी सरस प्रतिक्रिया सखी सस्नेह आभार ।
Deleteबहुत ही सुंदर रचना,कुसुम दी। 👌👌👌
ReplyDeleteसस्नेह आभार प्रिय ज्योति जी ।
Deleteवाह सखी कमाल की रचना।
ReplyDeleteसखी आपकी प्रतिक्रिया सदा मेरे साथ होती है जो सदा मन को खुशी देनेवाली होती है सस्नेह आभार
Deleteजी बहुत सा आभार अमित जी,
ReplyDeleteआपकी सराहना से रचना सार्थक हुई।
उम्दा उम्दा उम्दा
ReplyDeleteरंगसाज़
जी सादर आभार आपका
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