शाख़ ए नशेमन
समंदर से बच आये दो आंखों में डूब गये
मुकद्दर का खेल था तेरी बातों में डूब गये ।
तस्सवुर में ना था कोई कशिश में खिंचते रहे
बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये ।
बुलबुलें शाख़ ए नशेमन को संवारती रही
बारिशों में जाने कैसे आसियानें डूब गये ।
कुसुम कोठारी ।
सुभानअल्लाह।
ReplyDeleteबीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये ।
जी सादर आभार, आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteदो आँखों में डूबने वाला कभी नहीं उभर पाता ... लाजवाब शेर ...
जी सादर आभार आपकी सराहना से सार्थक हुई रचना।
Deleteवाह बहुत खूब 👌👌
ReplyDeleteतस्सवुर मे ना था कोई कशिश मे खिंचते रहे
बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये । बहुत ही बेहतरीन
आभार सखी आपका और आपके अतुल्य स्नेह का।
Deleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 26 सितंबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete.
सस्नेह आभार पम्मी जी, मै अवश्य आऊंगी ।
Delete👏👏👏👏👏👏वाह वाह और कुछ लिखा ही नहीं जा रहा मीत
ReplyDeleteएक वाह सब कह गई मीता, सस्नेह आभार।
Deleteसखी बहुत सुंदर गजल 👌👌👌
ReplyDeleteदिल खुश कर दिया आप की रचना ने
बहुत खूब 🙏🙏🙏
सखी सस्नेह ढेर सा आभार, तपती गर्मी में शीतल बयार सी आपकी उपस्थिति।
Deleteवाह वाह क्या बात है जी
ReplyDeleteउम्दा.
जी सादर आभार आपका।
Deleteवा...व्व...बहुत ही सुंदर रचना,कुसुम दी।
ReplyDeleteसस्नेह आभार ज्योति जी बहुत अच्छा लगा आपको ब्लाग पे देख कर।
Deleteवाह!लाजवाब बेहतरीन
ReplyDeleteतस्सवुर में ना था कोई कशिश में खिंचते रहे
बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये ।
उम्दा ।
सस्नेह आभार प्रिय सखी उत्साह वर्धन करती है आपकी उपस्थिति
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह!लाजवाब गजल 👌👌👌
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteवाह!!कुसुम जी बहुत खूब !!
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी जी ।
Deleteलाजवाब गजल.....
ReplyDeleteवाह!!!
सस्नेह आभार सखी ।
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