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Monday, 24 September 2018

शाख़ ए नशेमन

शाख़ ए नशेमन

समंदर से बच आये दो आंखों में डूब गये
मुकद्दर का खेल था तेरी बातों में डूब गये ।

तस्सवुर में ना था कोई कशिश में खिंचते रहे
बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये ।

बुलबुलें शाख़ ए नशेमन को संवारती रही
बारिशों में जाने कैसे आसियानें डूब गये ।
                       कुसुम कोठारी ।

25 comments:

  1. सुभानअल्लाह।

    बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये ।

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    1. जी सादर आभार, आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।

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  2. बहुत खूब ...
    दो आँखों में डूबने वाला कभी नहीं उभर पाता ... लाजवाब शेर ...

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    1. जी सादर आभार आपकी सराहना से सार्थक हुई रचना।

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  3. वाह बहुत खूब 👌👌
    तस्सवुर मे ना था कोई कशिश मे खिंचते रहे
    बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये । बहुत ही बेहतरीन

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    1. आभार सखी आपका और आपके अतुल्य स्नेह का।

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  4. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 26 सितंबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



    .

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    1. सस्नेह आभार पम्मी जी, मै अवश्य आऊंगी ।

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  5. 👏👏👏👏👏👏वाह वाह और कुछ लिखा ही नहीं जा रहा मीत

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    1. एक वाह सब कह गई मीता, सस्नेह आभार।

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  6. सखी बहुत सुंदर गजल 👌👌👌
    दिल खुश कर दिया आप की रचना ने
    बहुत खूब 🙏🙏🙏

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    1. सखी सस्नेह ढेर सा आभार, तपती गर्मी में शीतल बयार सी आपकी उपस्थिति।

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  7. वाह वाह क्या बात है जी
    उम्दा.

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  8. वा...व्व...बहुत ही सुंदर रचना,कुसुम दी।

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    1. सस्नेह आभार ज्योति जी बहुत अच्छा लगा आपको ब्लाग पे देख कर।

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  9. वाह!लाजवाब बेहतरीन

    तस्सवुर में ना था कोई कशिश में खिंचते रहे
    बीच धार से बच आये साहिल पर ड़ूब गये ।

    उम्दा ।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी उत्साह वर्धन करती है आपकी उपस्थिति

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  10. वाह!लाजवाब गजल 👌👌👌

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।

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  11. वाह!!कुसुम जी बहुत खूब !!

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  12. लाजवाब गजल.....
    वाह!!!

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