माँ स्कंदमाता
शासन करती मोक्ष पर, वर देती अविराम ।
तन पर उजले वस्त्र है, स्कंद मात है नाम ।
स्कंद मात है नाम, हाथ में पंकज धरती ।
देती है आशीष, कामना पूरण करती ।
कहे कुसुम कर जोड़, पद्म पर सुंदर आसन।
माँ दे दो वरदान, दीप्त है तेरा शासन ।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
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