माँ कूष्माण्डा
आदिस्वरूपा आदिशक्ति
सौम्य सुशोभित रूप
अष्टभुजा माँ मातेश्वरी
मुख पर खिलती धूप।
रचना करती ब्रह्मांड की
अंधकार को चीर
सुधा कलश अरु जल कमंडल
चक्र गदा धनु तीर
ऋद्धि सिद्धि जप माला हाथ
नव निधियों की स्तूप।।
व्याघ्र पृष्ठ बैठती मैया
सूरजमंडल धाम
आलोकित है कांति इनकी
कूष्माण्डा है नाम
यश बल आरोग्य की दात्री
सुंदर रूप अनूप।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
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