माँ चंद्रघंटा
सोने जैसी दमक रही माँ, द्युति है सूरज वरणी।
अस्त्र थामती दस हाथों में, चपला चमके अरणी।
अर्ध चन्द्र को शीश धारती, दृढ़ है सुंदर काया।
पीड़ा हरती भक्त जनों की, चंद्रघंटा अमाया।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
नवरात्रि पर्व में माँ दुर्गा की आराधना हेतु सुन्दर सृजन ।
सस्नेह आभार आपका।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29.9.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4567 के 8 लिंकों में शामिल किया गया है| आईएगा धन्यवाद दिलबाग
सादर धन्यवाद।मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
बहुत सुंदर।
सस्नेह आभार आपका ज्योति बहन।
सुन्दर रूप वर्णन मां का
जय माता रानी की।सस्नेह आभार आपका।
नवरात्रि पर्व में माँ दुर्गा की आराधना हेतु सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29.9.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4567 के 8 लिंकों में शामिल किया गया है| आईएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग
सादर धन्यवाद।
Deleteमैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसस्नेह आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteसुन्दर रूप वर्णन मां का
ReplyDeleteजय माता रानी की।
Deleteसस्नेह आभार आपका।