तप त्याग वैराग्य संयम का, पाठ पढ़ाती माता ।
ब्रह्मचारिणी देती संयम, जो चरणों में आता।
श्वेत वसन है हाथ कमंडल, साधु वृंद गुण गाता।
हाथ जापनी सौम्या छवि है, देखूँ मन हर्षाता।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
भक्ति भावसिक्त अद्भुत कृति ।
हृदय से आभार आपका मीना जी।सस्नेह।जय माता रानी की।
बहुत सुंदर।🙏
जी हृदय से आभार आपका।सादर।जय माता रानी की।
भक्ति भावसिक्त अद्भुत कृति ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका मीना जी।
Deleteसस्नेह।
जय माता रानी की।
बहुत सुंदर।🙏
ReplyDeleteजी हृदय से आभार आपका।
Deleteसादर।
जय माता रानी की।