अवमानना
बंधन तोड़ निर्बाध उड़ता
पखेरूंओं सा मन भटकने।
छेड़ तान गाता कोई कब
साज सभी जब बिखरे टूटे।
इक तारे की राग बेसुरी
पंचम के गति स्वर भी छूटे।
सभी साधना रही अधूरी
लगी सोच पर थाप अटकने।।
चुप चुप है सब आज दिशाएँ
अवमानना के भाव मुखरित।
भग्न सभी निष्ठा है छिछली
प्रश्न सारे रहे अनुत्तरित।
पस्त हुआ संयम हरबारी
मौन लगा फिर देख खटकने।।
अबोध गति अंतर की भागे
चाबुक ख़ाके जैसे घोड़ा
बहती है अविराम वेदना
निहित कहीं तो स्नेह थोड़ा
डोर थामली सूंत सुघड़ तब
लगे विचारों को झटकने।।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'
अबोध गति अंतर की भागे
ReplyDeleteचाबुक ख़ाके जैसे घोड़ा
बहती है अविराम वेदना
निहित कहीं तो स्नेह थोड़ा..।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..।
बहुत बहुत आभार आपका, आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई और नव उर्जा मिली लेखन को।
Deleteसस्नेह आभार।
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय रचना मुखरित हुई।
Deleteसादर।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका पुरुषोत्तम जी उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कुसुम दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteसस्नेह।
बहुत बहुत सराहनीय
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका, उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteसादर।
सराहनीय लेखन..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका विभाग बहन।
Deleteसस्नेह ।
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति कुसुम जी !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुभा जी।
Deleteसस्नेह।
अबोध गति अंतर की भागे
ReplyDeleteचाबुक ख़ाके जैसे घोड़ा
बहती है अविराम वेदना
निहित कहीं तो स्नेह थोड़ा
डोर थामली सूंत सुघड़ तब
लगे विचारों को झटकने।।
भावों की सघनता ने आपके इस गीत को हृदयस्पर्शी बना दिया है...
बहुत सुंदर..🌹🙏🌹
आपकी शानदार टिप्पणी ने रचना को जीवंत कर दिया ।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
सस्नेह।
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteसदा स्नेह बनाए रखें ।
सस्नेह।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
Deleteसादर।
पस्त हुआ संयम हरबारी
ReplyDeleteमौन लगा फिर देख खटकने।।
वाह!!!
अद्भुत भाव व्यंजनाएं एवं अप्रतिम बिम्ब
लाजवाब नवगीत।
बहुत बहुत आभार मीना जी चर्चा मंच पर आना सदा रचना और रचनाकार के लिए गर्व का विषय है।
ReplyDeleteसादर आभार।
बहुत बहुत आभार आपका पांच लिंक पर जरूर उपस्थिति रहूंगी।
ReplyDeleteसादर।
आपकी टिप्पणी से सदा मुझे नव उर्जा मिलती है सुधा जी ।
ReplyDeleteढेर सा स्नेह आभार।