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Tuesday, 9 October 2018

मुदित मन स्वागत मां

मुदित मन स्वागत मां

बरखा अब विदाई के
अंतिम सोपान पर आ खडी है
विदा होती दुल्हन के
सिसकियों के हिलोरों सी
दबी दबी सुगबुगाहट लिये।

शरद ने अभी अपनी
बंद अटरिया के द्वार
खोलने शुरू भी नही किये
मौसम के मिजाज
समझ के बाहर उलझे उलझे।

मां दुर्गा भी उत्सव का
उपहार लिये आ गईं धरा पे
चहुँ और नव निकेतन
नव धाम सुसज्जित
आवो करें स्वागत मुदित मन से।

                      कुसुम कोठारी।

16 comments:

  1. नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं आपको और आपके परिवार को।
    बेहतरीन मातृ स्तुति

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    1. स्नेह आभार बहना , आपके व आपके परिवार पर सर्वदा मां की कृपा दृष्टि बनी रहे।

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  2. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 11 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1182 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    Replies
    1. जी सादर आभार ।
      मै अवश्य उपस्थित रहूंगी।

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  3. बहुत सुंदर रचना नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं कुसुम जी

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    1. आपको भी मित्र जी ढेरों शुभकामनाएं।
      स्नेह आभार।

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  4. करुणामयी मनमोहनी करती सदा कल्याण है
    तम मिटा और ज्ञान भर हरती हदा अज्ञान है
    सुस्वागतम माँ..पधारो माँ..🙏
    सुंदर स्वागत दी..।
    जय माता दी🙏

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    Replies
    1. वाह सुंदर प्रतिपंक्तियां श्वेता आपकी ।
      ढेर सा आभार।
      नव रात्री की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. सिसकियों के हिलोरों सी
    दबी दबी सुगबुगाहट लिये



    वाह बहुत सुन्दर कुसुम जी

    मन तो भा गयी आपकी रचना

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    1. बरखा की विदाई पर दो पंक्तियों को विषेश तवज्जो दी आपने जो मेरी भी प्रिय पंक्तियाँ है.
      बहुत बहुत आभार डाक्टर साहब।

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  6. बहुत ही सुंदर शब्दों से नवरात्र का स्वागत..
    मनमोहक रचना।

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    1. प्रिय पम्मी बहन आपकी सुंदर प्रतिक्रिया रचना को सार्थकता दे गई, सस्नेह आभार ।

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  7. शरद ने अभी अपनी
    बंद अटरिया के द्वार
    खोलने शुरू भी नही किये
    मौसम के मिजाज
    समझ के बाहर उलझे उलझे।
    बहुत सुन्दर शरद आगमन एवं माँ का स्वागत !!!
    नवरात्रि की शुभकामनाएं....

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया सदा मनभावन होती है।

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  8. बहुत ही सुंदर आह्वान माँ जगदम्बा का प्रिय कुसुम बहन|सचमुच कभी कभी सोचती हूँ इन दिनों में रौनकें बिखेरने के लिए अगर नवरात्रे ना होते तो जीवन कितना उदास होता | आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ इस पावन बेला पर | बेहतरीन प्रस्तुती के लिए सस्नेह आभार प्रिय बहन |

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    1. स्नेही रेनू बहन आपका ब्लॉग पर होना भर ही एक सुन्दर आभास है, उस पर आपकी प्रेम पगी प्रतिक्रिया से रचना के भाव भी मुखरित होते हैं,
      स्नेह आभार बहना ।
      सदा नेह बनाये रखें।

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