मुदित मन स्वागत मां
बरखा अब विदाई के
अंतिम सोपान पर आ खडी है
विदा होती दुल्हन के
सिसकियों के हिलोरों सी
दबी दबी सुगबुगाहट लिये।
शरद ने अभी अपनी
बंद अटरिया के द्वार
खोलने शुरू भी नही किये
मौसम के मिजाज
समझ के बाहर उलझे उलझे।
मां दुर्गा भी उत्सव का
उपहार लिये आ गईं धरा पे
चहुँ और नव निकेतन
नव धाम सुसज्जित
आवो करें स्वागत मुदित मन से।
कुसुम कोठारी।
बरखा अब विदाई के
अंतिम सोपान पर आ खडी है
विदा होती दुल्हन के
सिसकियों के हिलोरों सी
दबी दबी सुगबुगाहट लिये।
शरद ने अभी अपनी
बंद अटरिया के द्वार
खोलने शुरू भी नही किये
मौसम के मिजाज
समझ के बाहर उलझे उलझे।
मां दुर्गा भी उत्सव का
उपहार लिये आ गईं धरा पे
चहुँ और नव निकेतन
नव धाम सुसज्जित
आवो करें स्वागत मुदित मन से।
कुसुम कोठारी।
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं आपको और आपके परिवार को।
ReplyDeleteबेहतरीन मातृ स्तुति
स्नेह आभार बहना , आपके व आपके परिवार पर सर्वदा मां की कृपा दृष्टि बनी रहे।
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 11 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1182 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
जी सादर आभार ।
Deleteमै अवश्य उपस्थित रहूंगी।
बहुत सुंदर रचना नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं कुसुम जी
ReplyDeleteआपको भी मित्र जी ढेरों शुभकामनाएं।
Deleteस्नेह आभार।
करुणामयी मनमोहनी करती सदा कल्याण है
ReplyDeleteतम मिटा और ज्ञान भर हरती हदा अज्ञान है
सुस्वागतम माँ..पधारो माँ..🙏
सुंदर स्वागत दी..।
जय माता दी🙏
वाह सुंदर प्रतिपंक्तियां श्वेता आपकी ।
Deleteढेर सा आभार।
नव रात्री की हार्दिक शुभकामनाएं।
सिसकियों के हिलोरों सी
ReplyDeleteदबी दबी सुगबुगाहट लिये
वाह बहुत सुन्दर कुसुम जी
मन तो भा गयी आपकी रचना
बरखा की विदाई पर दो पंक्तियों को विषेश तवज्जो दी आपने जो मेरी भी प्रिय पंक्तियाँ है.
Deleteबहुत बहुत आभार डाक्टर साहब।
बहुत ही सुंदर शब्दों से नवरात्र का स्वागत..
ReplyDeleteमनमोहक रचना।
प्रिय पम्मी बहन आपकी सुंदर प्रतिक्रिया रचना को सार्थकता दे गई, सस्नेह आभार ।
Deleteशरद ने अभी अपनी
ReplyDeleteबंद अटरिया के द्वार
खोलने शुरू भी नही किये
मौसम के मिजाज
समझ के बाहर उलझे उलझे।
बहुत सुन्दर शरद आगमन एवं माँ का स्वागत !!!
नवरात्रि की शुभकामनाएं....
बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया सदा मनभावन होती है।
Deleteबहुत ही सुंदर आह्वान माँ जगदम्बा का प्रिय कुसुम बहन|सचमुच कभी कभी सोचती हूँ इन दिनों में रौनकें बिखेरने के लिए अगर नवरात्रे ना होते तो जीवन कितना उदास होता | आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ इस पावन बेला पर | बेहतरीन प्रस्तुती के लिए सस्नेह आभार प्रिय बहन |
ReplyDeleteस्नेही रेनू बहन आपका ब्लॉग पर होना भर ही एक सुन्दर आभास है, उस पर आपकी प्रेम पगी प्रतिक्रिया से रचना के भाव भी मुखरित होते हैं,
Deleteस्नेह आभार बहना ।
सदा नेह बनाये रखें।